भारत सरकार ने कामकाज में अनावश्यक लंबी प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए वर्ष 2023 में जन विश्वास विधेयक प्रस्तुत किया था। इसी तरह प्रदेश सरकार ने भी विधेयक तैयार किया है। इसमें विभागों के विभिन्न अधिनियमों के उन प्रविधानों को शामिल किया है, जिनमें जुर्माने का प्रविधान था। इसके लिए संबंधित विभाग को प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करने होते थे, जबकि इनका निराकरण समझौते के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वयं के उपयोग के लिए कैप्टिव पावर प्लांट लगाने वाले व्यक्तियों को उत्पादन और खपत का लेखा-जोखा रखना होता है और इसका लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं करने पर पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रविधान था। इसे अब पांच हजार रुपये अर्थदंड कर दिया है ताकि किसी को यह अवसर न रहे कि वे मर्जी से दो, तीन या फिर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगे सके।
इसी तरह नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने यह प्रविधान प्रस्तावित किया है कि पानी की नाली या सड़क को अपने उपयोग के लिए क्षतिग्रस्त किया या फिर निजी भूमि पर मार्ग के लिए चूने की लाइन डालकर प्लाटिंग की जाती है तो अर्थदंड पांच सौ के स्थान पर पांच हजार रुपये लगेगा। इसी तरह के प्रविधान सहकारिता, श्रम सहित अन्य विभागों के अधिनियम में संशोधन करके किए गए हैं।