मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने भोपाल में नगर निगम द्वारा वसूले जा रहे कमर्शियल टैक्स (वाणिज्यिक लाइसेंस शुल्क) पर फिलहाल रोक लगा दी है। टैक्स वसूली के विरोध में भोपाल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (बीसीसीआई) हाईकोर्ट पहुंचा था। अध्यक्ष तेज कुलपाल सिंह पाली ने बताया कि अब 6 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
उन्होंने बताया, 'आज हुई सुनवाई में अंतरिम स्थगन आदेश दिया गया है। इसका मतलब है कि यदि संपत्ति का मालिक वाणिज्यिक लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं कर रहा है, तो नगर निगम ऐसी फीस का भुगतान करने के लिए दबाव नहीं डाल सकता है। यह आदेश 6 जनवरी 2025 तक दिया गया है। इस दिन अंतिम सुनवाई होगी।'
मंत्री, सांसद-मेयर के सामने उठा चुके मांग बीसीसीआई ट्रेड (कमर्शियल) और प्रोफेशनल टैक्स को खत्म करने की मांग नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, भोपाल सांसद आलोक शर्मा और महापौर मालती राय के सामने उठा चुका है। एक दिन पहले सोमवार को मंत्री विजयवर्गीय से मिले थे। इस दौरान अध्यक्ष पाली ने कहा था कि भोपाल को छोड़कर एमपी में यह टैक्स कहीं भी नहीं लिया जा रहा है। इससे व्यापारियों पर बेवजह का दबाव पड़ रहा है।
इस पर मंत्री ने चर्चा की और आश्वस्त किया था कि जब पूरे प्रदेश के किसी भी शहर में कमर्शियल लाइसेंस फीस लागू नहीं है, तो भोपाल एकमात्र ऐसा शहर क्यों है, जहां वाणिज्यिक लाइसेंस शुल्क लागू है। इस विषय पर विसंगतियों को हटाने का प्रयास करेंगे। चेंबर के अजय देवनानी ने बताया कि मंगलवार को हाईकोर्ट ने टैक्स वसूली पर आगामी सुनवाई तक रोक लगाई है।
इन दो टैक्स का विरोध कर रहे व्यापारी
एक्सपर्ट के अनुसार, नगर निगम सीमा में पहले जो भी व्यापार होता था, उसके बदले कुल 254 कैटेगरी का टैक्स लिया जाता था। जगह के हिसाब से अलग-अलग टैक्स होता था, जो सालाना वसूला जाता था। इसे आसान करने के लिए 4, 5 और 6 रुपए प्रति स्क्वायर प्रतिवर्ष के हिसाब से टैक्स लेना शुरू किया गया। यानी, यदि टैक्स 6 रुपए स्क्वायर फीट है और ऑफिस-दुकान 1 हजार स्क्वायर फीट है, तो 6 हजार रुपए टैक्स चुकाना होता है, जबकि पहले यह सिर्फ 450 रुपए ही लगता था। मुख्य रोड और गली में अलग-अलग कर लिया जाने लगा। इसका विरोध कर रहे हैं।
दूसरा टैक्स किराए पर चढ़ी बिल्डिंग से वसूला जाना है। इसे प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ दिया गया है। जिससे बिल्डिंग मालिक पर पूरा लोड आ गया, जबकि जो किराए पर रह रहा है, उससे ही वसूला जाना चाहिए। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह से यह मांग की गई थी। इसके बाद यह टैक्स हटा दिया गया था, लेकिन अब फिर से जोड़कर आने लगा है। इससे व्यापारियों की कमर टूट गई है।