नई दिल्ली: टाटा ग्रुप (Tata Group) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का आईपीओ फिर से चर्चा में है। दरअसल, टाटा संस के लिए स्टॉक एक्सचेंज में सार्वजनिक होने का समय तेजी से गुजर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अभी तक कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन छोड़ने के आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया है।क्या है पूरा मामला?
रिजर्व बैंक ने टाटा संस का क्लासिफिकेशन नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) अपर लेयर में किया है। जो भी कंपनियां इस कैटेगिरी में हैं, उन्हें सितंबर 2025 तक लिस्टिंग कराने का समय मिला है। टाटा संस ने साल 2023-24 में ही अपना 21,813 करोड़ रुपये का पूरा कर्ज चुका दिया है।इसके साथ ही कंपनी ने रिजर्व बैंक के पास आवेदन दिया है कि उसे एनबीएफसी अपर लेयर से डिसक्लासिफाई कर दिया जाए। ऐसा करने से कंपनी अनरजिस्टर्ड कोर इनवेस्टमेंट कंपनी (CIC) रह जाएगी। फिर उसे लिस्टिंग के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। रिजर्व बैंक ने अभी तक इस आवेदन पर फैसला नहीं लिया है।
रिजर्व बैंक ने कहा- आवेदन की हो रही जांच
एक इन्वेस्टर ने टाटा संस के आवेदन के बारे में रिजर्व बैंक से आरटीआई के तहत जवाब मांगा था। रिजर्व बैंक ने जवाब में 14 नवंबर को इस बात की पुष्टि कर दी कि टाटा संस ने 28 मार्च को अपना सीआईसी रजिस्ट्रेशन छोड़ने के लिए आवेदन किया था। रिजर्व बैंक ने कहा कि सीआईसी के रूप में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट छोड़ने के लिए टाटा संस ने जो आवेदन पेश किया है, उसकी जांच की जा रही है।
रिजर्व बैंक के लिए भी चुनौती
टाटा संस के लिए आईपीओ लाना इतना आसान दिखाई नहीं दे रहा। मर्चेंट बैंकरों के मुताबिक आईपीओ की तैयारी के लिए टाटा संस को छह से आठ महीने की जरूरत होगी। एक बैंकर के मुताबिक रिजर्व बैंक की ओर से कोई स्पष्टता नहीं होने के चलते टाटा संस मुश्किल में पड़ सकती है क्योंकि यह सूचीबद्ध नहीं होना चाहती है। वहीं इसे अनुपालन की समय सीमा को पूरा करना है।
जानकारों के मुताबिक जैसे-जैसे लिस्टिंग का समय नजदीक आ रहा है, यह रिजर्व बैंक के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। दरअसल, टाटा संस के आईपीओ को लेकर विवाद रिजर्व बैंक के अपने विनियामक एजेंडे को लागू करने और वित्तीय क्षेत्र में गवर्नेंस स्टैंडर्ड को बनाए रखने की क्षमता के लिए भी चुनौती होगा।
...तो कंपनी को मिल जाएगी छूट
टाटा संस अपने बकाया स्टैंडअलोन लोन का भुगतान कर चुकी है। यह शायद इसलिए ताकि उसे अपने RBI रजिस्ट्रेशन को छोड़ने में आसानी हो। टाटा संस की वित्त वर्ष 2022-23 की बैलेंस शीट में लगभग 20,270 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया गया है। कर्ज चुकाने के बाद उम्मीद है कि कंपनी को SBR लिस्टिंग मानदंडों से छूट मिल जाए।
शापूरजी पलोनजी ग्रुप आईपीओ के समर्थन में
टाटा संस में शापूरजी पलोनजी ग्रुप (SP Group) की 18.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। एसपी ग्रुप चाहता है कि टाटा संस जल्द से जल्द लिस्ट हो ताकि उनकी कंपनी के शेयर का फेयर वैल्यू पता चले। जानकारों के मुताबिक 5 फीसदी की हिस्सेदारी की मामूली बिक्री से भी 55 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई जा सकती है। इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाजार में उसकी मौजूदगी में काफी सुधार होगा।