व्यावसायिक इलाकों में दुकानें होने से यातायात होता है बाधित:32 साल में 57 पत्र, 2 बार जमीन आवंटन, पर शहर से बाहर नहीं हो सकी लोहा मंडी

Updated on 11-03-2025 12:54 PM

पिछले 32 साल से इंतजार हो रहा है कि लोहा बाजार शहर से बाहर हो जाए। इसके​ लिए एक व्यवस्थित लोहा मंडी बना दी जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। नतीजा ये कि शहर के बीचोबीच बरसों से जमीं लोहा बाजार की दुकानों की वजह से हर दिन ट्रैफिक जाम के हालात से जूझना पड़ रहा है। पुराने शहर में ही कबाड़खाना, जुमेराती और सेफिया कॉलेज रोड पर लोहे के कारोबार से जुड़ी दुकानों पर जब लोडिंग और अनलोडिंग होती है तब देर तक सड़क पर जाम लग जाता है। इन इलाकों में सड़क की चौड़ाई कम होने की वजह से हादसे की आशंका भी बनी रहती है।

यही हालात नए शहर के एमपी नगर जोन वन और जोन 2 में भी बनते हैं। यहां लोहे की दुकानों के सामने कई बार जाम लग जाता है। इंद्रपुरी, कोटरा सुल्तानाबाद, संत हिरदाराम नगर में भी बाजार में दुकानों के सामने भी यही स्थिति बनती है।

जुमेराती से एमपी नगर तक, रोज जाम से जूझते हैं लाखों लोग

1. जुमेराती : थोक किराना दुकानें हैं। यहां भोपाल के अलावा आसपास के शहरों के लोग भी खरीदारी के लिए आते हैं। रोजाना 1 लाख लोगों की आवाजाही होती है।

2. एमपी नगर : कोचिंग क्लास, बैंक, शो रूम, दुकानें, पेट्रोल पंप, हॉस्टल्स हैं। ग्राहक, विद्यार्थी, बैंक कर्मचारी समेत 1 लाख लोगों की रोजाना आवाजाही होती है।

3. संत हिरदाराम नगर नाका, गांधी नगर, लालघाटी, इंद्रपुरी, कोलार, कोटरा, नीलबड़, बाग मुगलिया, मिसरोद, करोंद जैसे इलाकों में भी दुकानें- गोदाम हैं। यहां 2 लाख लोगों का आवागमन।

दो जगहों पर मांगी थी जमीन...

  • 14 सितंबर 1993 को संयुक्त संचालक टीएंडसीपी ने गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के पास या सुभाष नगर में मंडी बनाने की बात कही। 9 अगस्त 1994 को कलेक्टर से सुभाष नगर रेलवे क्रॉसिंग या गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल के पास मंडी के लिए जमीन मांगी गई। मई 2013 में बताया कि कान्हासैंया में 37.33 एकड़ जमीन ढूंढ ली है। बाद में कृषि भूमि बताकर आवंटन से इनकार कर दिया गया।

1993 में शुरू हुई थी कवायद

1993 में लोहा मंडी बनाने को लेकर पहली बार कवायद शुरू हुई थी। तब से अब तक शासन, प्रशासन और लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ के बीच 57 बार पत्राचार हो चुका है। इन 32 वर्षों में प्रशासन और नगर निगम प्रशासन द्वारा लोहा मंडी के लिए 2 बार जमीन भी आवंटित की जा चुकी है। भोपाल के तीन मास्टर प्लान में भी लोहा मंडी का जिक्र है। पर बावजूद लोहा मंडी कागजों से निकलकर अब तक जमीन पर आकार नहीं ले सकी। अब लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ ने सरकार से कहा है कि उन्हें जगह दी जाए तो वह 125 करोड़ रुपए निवेश करने को तैयार हैं।

इंदौर में तीन मंडी बनीं, राजधानी में एक भी नहीं

इंदौर में 3, जबलपुर और ग्वालियर में 1-1 लोहा मंडी बन गई हैं। पर राजधानी में अब तक लोहा मंडी नहीं बनी। इससे 300 व्यापारियों को कई तरह की दिक्कत हो रही है। -बलदेव खेमानी, अध्यक्ष, लोहा व्यवसायी संघ

लोहा व्यवसायी संघ के निवेश करने और गाइडलाइन से जमीन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इस पर विचार के बाद प्रशासन जल्द निर्णय लेगा। -कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर भोपाल


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