नई दिल्ली। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग घटाने के बाद कहा कि रिटेल तथा एसएमई लोन के डूबने का खतरा बढ़ गया है। देश की सॉवरेन रेटिंग घटाने के कारणों की व्याख्या करते हुए उसने कहा है कि वित्तीय व्यवस्था के लिए जोखिम बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले ही कुछ सेक्टर्स संकटग्रस्त थे। एनबीएफआई की बात करें तो आने वाले दिनों में एसेट्स और लायबिलिटी दोनों पर ही असर होगा और यह बैंक लोन का लगभग 10-15 फीसदी होगा। निजी बिजली कंपनियों के पास कुल बैंक लोन का 8-10 फीसदी लोन है। ऑटो वैल्यू चेन में सबसे ज्यादा कर्ज निजी क्षेत्र के बैंकों ने दिया है। मूडीज का कहना है कि अब रिटेल तथा एसएमई लोन की गुणवत्ता खराब होगी, जो कुल लोन का 44 फीसदी है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का कहना है कि कम विकास दर, कमजोर राजकोषीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र में बढ़ते तनाव से पॉलिसीमेकिंग इंस्टिट्यशंस की चुनौतियां बढ़ रही हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 80 फीसदी से अधिक रेटेड गैर-वित्तीय कंपनियों का परिदृश्य या तो नकारात्मक है या उनकी रेटिंग घटने का खतरा है।