वित्त क्षेत्र में बदलते ट्रेंड के मुताबिक वित्त विभाग अब ऋण प्रबंधन, वित्तीय रणनीति, मार्केट रिसर्च और म्युनिसिपल बांड्स जैसे नए क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स की सेवाएं लेने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए विभाग ने पहले ही प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) का गठन किया है। हालांकि, जिस स्तर के वरिष्ठ एक्सपर्ट्स की उम्मीद है, वो मप्र में काम करने के इच्छुक नहीं और विभाग को हाल में ही तीसरी बार टेंडर निकालना पड़ा है।
वित्त विभाग को बजट, ऋण प्रबंधन, नई योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन करने के अलावा सभी विभागों के वित्तीय प्रस्तावों पर अभिमत देना होता है। हालांकि विभाग में मुख्य रूप से वित्त से जुड़े अधिकारी और कंसलटेंट मौजूद होते हैं। जबकि वित्त क्षेत्र में बीते सालों में म्युनिसिपल बांड्स, पीपीपी मोड, हाइब्रिड एन्युटी मोड, मार्केट रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, डाटा एनालिटिक्स, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, ऋण प्रबंधन, फाइनेंसियल फोरकास्ट, चाइल्ड-जेंडर बजट जैसे नए आयाम जुड़ चुके हैं।
इन विशेष क्षेत्रों के लिए इन विषयों में महारत रखने वाले एक्सपर्ट्स की जरूरत है। इसलिए पीएमयू का गठन करके एक्सपर्ट्स की सेवाएं ली जाएंगी। एक टीम लीडर के अलावा प्रस्तावित एजेंसी में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप, पब्लिक फाइनेंस, डाटा एनालिटिक्स जैसे एक्सपर्ट होंगे। पूरे विभाग में इन एक्सपर्ट्स को अलग-अलग सेक्शन में भी जोड़ा जा सकेगा।
सेवाओं में सरकार की वित्तीय रणनीतियों का समावेश
एक्सपर्ट सेवाओं में सरकार के कर्जों का प्रबंधन शामिल है। इसमें कर्जों का प्रबंधन -आंकलन शामिल है। एफआरबीएम नियमों का पालन, राजकोषीय नीति बनाना, राजस्व -खर्च का आंकलन, वित्तीय ट्रेंड का आंकलन, आरबीआई के नियमों का पालन जैसे प्रावधान शामिल हैं। नई योजनाओं में वित्तीय जोखिम का अध्ययन भी होगा।
बजट निर्माण में दूसरे राज्यों के बजट का इनपुट इकट्ठा करना, वित्तीय प्लानिंग में मदद और किन क्षेत्रों में सुधार हो सकता है, उसकी सुझाव देना शामिल होगा। वित्तीय प्रबंधन में उपलब्ध नई तकनीकों और रणनीतियों की जानकारी विभागों को देना। बेहतर वित्तीय मॉडल ढूंढा और निवेश की संभावनाएं तलाशना भी शामिल होगा।
बड़े एक्सपर्ट्स को नहीं भा रहा मप्र
संबंधित एजेंसी के लिए दो बार पूर्व में टेंडर निकाले जा चुके हैं। हाल ही में तीसरी बार निकला गया है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिस स्तर के एक्सपर्ट्स चाहिए, उनके हिसाब से वेतन और सुविधाएं मप्र में नहीं मिल सकेंगी। इसलिए एक्सपर्ट यहां आने के इच्छुक नहीं हैं। विभाग ने इस बार टेंडर में कई शर्तें बदलीं हैं। हाइब्रिड मोड पर काम की छूट दी जा रही है यानि हफ्ते में 5 दिन ही विभाग में रहकर काम करना होगा यानि साल में लगभग 2 महीने ही यहां रहना होगा। कुछ सदस्यों को फुल टाइम रहना होगा। अब एमबीए की बजाय कॉमर्स /सीए बैकग्राउंड से भी उम्मीदवार आ सकेंगे।