नई दिल्ली। भारत करीब 300 चाइनीज उत्पादा पर आयात शुल्क बढ़ाकर या नॉन-टैरिफ बैरियल के जरिए उनका आयात कम करने की योजना बना रहा है। जानकारी के मुताबिक भारत करीब 300 चाइनीज उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाकर उनका आयात कम करेगा। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक सरकार अप्रैल से ही इस योजना पर काम कर रही है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर अभियान के जरिए लोकल उत्पादों को बढ़ावा देने का ऐलान किया था। अधिकारियों के मुताबिक सरकार 160 से 200 चाइनीज उत्प प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। जबकि 100 चाइनीज प्रोडक्ट्स पर नॉन-टैरिफ बैरियर लगाने की तैयारी है। नॉन टैरिफ बैरियर का मतलब है कि उन पर शुल्क नहीं बढ़ाया जाएगा बल्कि लाइसेंस की जरूरत और सख्त क्वालिटी चेक के जरिए उनके आयात को कम करने का प्रयास किया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि इस फैसले से 8 अरब डॉलर से लेकर 10 अरब डॉलर तक के प्रोडक्ट्स का आयात रुक जाएगा।
बहिष्कार से चीन को लग सकता है 17 अरब डॉलर का झटका
पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकत के बाद देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है। कारोबारियों ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को चीन में बने सामान की बिक्री बंद करने का आदेश दे। चीन से भारत को होने वाले कुल आयात में से रिटेल ट्रेडर्स करीब 17 अरब डॉलर का सामान बेचते हैं। इनमें ज्यादातर खिलौने, घरेलू सामान, मोबाइल, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान और कॉस्मैटिक उत्पाद शामिल हैं। अगर चीन से ये सामान आना बंद होता है तो इससे ये सामान बनाने वाली घरेलू कंपनियों को फायदा होगा। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के महासचिव वीके बंसल ने कहा कि हमने अपने सद्स्यों को चीनी माल का स्टॉक निपटाने को कहा है। साथ ही उनसे कहा गया है कि वे वहां से आगे सामान मंगाने में परहेज करें। साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को चीनी माल बेचने से रोके। कनफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार का भी कहना है कि एसोसिशन ने अपने सदस्यों को चीनी माल का कारोबार बंद करने की सलाह दी है। कारोबारियों की एक ओर राष्ट्रीय संस्था द कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी चीनी सामान के बहिष्कार का फैसला किया है।