स्वदेशी वस्तुओं को खरीदना कर दिया शुरू
भोपाल। भारत-चीन की सीमा पर हुई खूनी झडप के बाद इसका असर अब भारतीय बाजारों में भी दिखने लगा है। बीते दिनों चीन की ओर से भारतीय सीमा पर हमला करने से नाराज लोगों ने चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। अब भारत की सीमा पर किए गए हमले से लोगों ने चीन की वस्तुओं के बजाय विकल्प के रूप में स्वदेशी वस्तुओं को खरीदना शुरू कर दिया है। चीन में बने बच्चों के खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल की वस्तुएं खरीदने से भी लोग तौबा कर रहे हैं। इसका असर शहर के बाजारों में दिखने लगा है। लॉकडाउन के पहले शहर के बाजारों में 45 फीसद वस्तुएं चीन की बिक रही थीं, अब 15 प्रतिशत घटकर 30 फीसद बिक्री रह गई है। इसमें बच्चों के खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल्स की वस्तुएं 80 फीसद होती हैं। हालांकि, चीन में निर्मित उपकरणों के इस्तेमाल में कोई कमी नहीं आई है। चीन से नया कच्चा माल व वस्तुएं मुंबई, दिल्ली के बड़े थोक बाजारों में नहीं आ रही हैं। जितना स्टॉक है, वो ही उपकरण, गाड़ियां, मोबाइल व ट्रांसफार्मर इस्तेमाल हो रहे हैं। उद्योगपति चीन से आने वाले उपकरणों को भारत में बनाने के लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं। सभी जरूरी उपकरण व वस्तुएं भारत में ही बनने लगें और कम दाम पर मिलने लगेंगी तो चीन की वस्तुओं की निर्भरता खत्म हो जाएगी। 20 करोड़ रुपये का चीन की वस्तुओं व उपकरणों का रोज कारोबार भोपाल में होता था। यह अब 7 करोड़ का रह गया है। शहर में चीन में बने खिलौनों का 80 फीसद बाजार है। वहीं 20 प्रतिशत खिलौने भारत में बने हुए बिकते हैं। कोरोना के कारण चीन से नए खिलौने नहीं आ पा रहे हैं। पुराना स्टॉक ही व्यापारी बेच रहे हैं। लोग भी बच्चों के लिए मॉल और दुकानों पर विकल्प के रूप में भारत में बने खिलौने लेना पसंद करने लगे हैं। चीन में बने अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल फोन का 60 प्रतिशत कारोबार शहर में होता है। एमपी नगर, घोड़ा नक्कास, बुधवारा सहित अन्य बाजारों की दुकानों पर मेड इन चाइना के मोबाइल बिकते हैं। वहीं टीवी, कूलर, पंखे सहित कई तरह की मोटरों में चीन में बने उपकरण लगते हैं। अब लोग मेड इन चाइना लिखी हुई वस्तुओं को लेना बंद करने लगे हैं। शहर में दवाओं को बनाने के लिए 30 प्रतिशत कच्चा माल चीन से आता है। अब देश में सैनिटाइजर काफी मात्रा में बनने लगा है। मास्क भी बन रहे हैं। इससे चीन पर निर्भता कम होती जा रही है। शहर की 2900 मेडिकल की दुकानों पर कोरोन से बचाव के लिए भारत में निर्मित पीपीई किट मिल रही है। मंडीदीप इंड्रस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने बताया कि चीन बहुत ही कम दाम में किसी वस्तु व उपकरणों को बना देता है। भारत में निर्मित खिलौने, आटो पार्ट्स, मोबाइल सहित कई इलेक्ट्रिॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स उपकरण चीन की अपेक्षा महंगे होते हैं। ऐसे में लोग चीन निर्मित वस्तुएं खरीदते हैं। जब देश में सस्ती वस्तुएं व कई तरह के उपकरण बनने लगेंगे तो भारत पूरी तरह आत्म निर्भर बन जाएगा। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने काम शुरू कर दिया है। हमारी एकजुटता से पूरी तरह चीन की वस्तुओं का बहिष्कार किया जा सकता है। भोपाल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ललित जैन ने बताया कि दवाओं में धीरे-धीरे चीन पर निर्भरता खत्म होती जा रही है। दवाएं बनाने के लिए 30 फीसद कच्चा माल चीन से आता है। कोरोना वायरस के कारण नया कच्चा माल नहीं आ पा रहा है। भारत में ही दवाएं बन रही हैं। देश आत्म निर्भर की ओर बढ़ रहा है। आटो पार्ट्स, मोबाइल सहित कई प्रकार के उपकरण देश में बनने लगेंगे तो चीन से कुछ नहीं मांगना पड़ेगा।