मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने प्रदेश के 39 निजी विश्वविद्यालयों से 76 करोड़ रुपए की रिकवरी निकाली है। ये राशि छात्रों से ली गई फीस का 1% है, जिसे प्रवेश की अंतिम तारीख से 30 दिन के भीतर आयोग में जमा करना होता है।
कुछ विवि ने इसे समय पर नहीं जमा किया, जिससे आयोग ने 14% दंडात्मक ब्याज के साथ राशि जमा करने का नोटिस जारी किया है। यह रिकवरी 2021-22 से 2023-24 तक की है। मप्र निजी विश्वविद्यालय संघ ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है।
उनका कहना है कि आयोग न केवल नए सत्र के छात्रों से, बल्कि पूर्व से प्रवेशित छात्रों की फीस से भी राशि ले रहा है, जबकि इसके लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है। संघ ने इसे पुनः देखने का अनुरोध किया है।
चेयरमैन को पत्र...
संघ ने आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखा है कि आयोग द्वारा इस 1% राशि की गणना आय-व्यय पत्रक के आधार पर की जा रही है, जिसका उल्लेख आयोग के अधिनियम में नहीं है। अधिनियम मेें छात्रों से संग्रहित फीस की 1% राशि संबंधित कोर्स में प्रवेश की अंतिम तारीख के 30 दिन के भीतर जमा करने का प्रावधान है।
बैलेंस शीट पर गणना न हो
मप्र में अधिकतर निजी विवि की स्थापना पूर्व से संचालित कॉलेजों को मिलाकर की गई है, जिनकी बैलेंस शीट में पूर्ववर्ती छात्रों का शिक्षण शुल्क समाहित होगा। इसलिए बैलेंस शीट के आधार पर 1 राशि की गणना तर्कसंगत नहीं है। राशि केवल संबंधित सत्र के प्रथम वर्ष छात्रों से ली जानी चाहिए।
-डॉ. अजीत सिंह पटेल, सेक्रेटरी, निजी विवि संघ मप्र
सीधी बात- प्रो. भरत शरण सिंह, चेयरमैन, मप्र निजी विवि विनियामक आयोग
... और चेयरमैन का नो कमेंट
निजी विश्वविद्यालयों पर रिकवरी क्यों निकाली गई है? यह एक सामान्य और रूटीन प्रक्रिया है। मैं कमेंट नहीं करुंगा। नियमानुसार कार्रवाई नहीं हुई? वित्तीय प्रोसेस है। कमेंट नहीं करूंगा।