14 लाख मजदूर लौटे...मात्र 430 पॉजिटिव निकले
भोपाल। लॉकडाउन के कारण प्रदेश में 14 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटे, मगर जितनी आशंका थी उससे बहुत कम संक्रमित हुए। अभी तक 430 मजदूरों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की जानकारी शासन ने दी है। यानी घरों में कैद लोगों से अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदल चलकर आए इन मजदूरों में पाई गई।
पूरे देश ने मजदूरों के दर्दनाक पलायन को देखा और भूखे-प्यासे, पैदल चलने वाले मजदूरों के कई फोटो, वीडियो सामने आए। फिर तमाम संस्थाओं और समाजसेवियों ने इनकी मदद भी की। सरकार की नींद भी बाद में खुली और फिर ट्रेनों-बसों के जरिए इन मजदूरों को घर पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया। हल्ला मचा कि अब यह मजदूर अपने-अपने प्रदेश, गांव पहुंचकर कोरोना संक्रमण फैलाएंगे, क्योंकि मजदूरों के पलायन के जो फोटो-वीडियो सामने आए उसमें मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का कहीं कोई पालन नजर नहीं आया। एक-दूसरे पर लदकर सीमेंट-कांक्रीट थ्रेसर मशीन से लेकर बसों, ट्रक, ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में वे अपने-अपने घर पहुंचे। हालांकि गांव वाले शहर वालों की तुलना में ज्यादा जागरूक हैं और जब ये मजदूर अपने गांव पहुंचे तो इन्हें अंदर नहीं घुसने दिया गया और गांव के ही बाहर क्वारेंटाइन किया गया। परिणाम यह रहा कि जितनी शंका की जा रही थी उसकी तुलना में बहुत कम ये गरीब मजदूर कोरोना पॉजिटिव निकले। दरअसल कड़ी धूप, बारिश और ठंड में मेहनत-मजदूरी करने वाले इन मजदूरों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घरों में कैद अन्य लोगों की तुलना में बेहतर रहती है। हजार-डेढ़ हजार किलोमीटर तक इन मजदूरों ने पैदल सफर किया तो कोई साइकिल से तो कोई जो साधन मिला उससे अपने गांव जा पहुंचा। केन्द्र को जो जानकारी दी उसमें बताया कि 14 लाख 3 हजार प्रवासी श्रमिक लौटे, जिनमें से 12 लाख से अधिक मजदूरों को होम क्वारेंटाइन भी किया गया और 65 हजार से अधिक को संस्थागत क्वारेंटाइन करवाया गया। लक्षणों के आधार पर मजदूरों में से 19130 के नमूने लिए गए और टेस्टिंग के बाद 430 सैम्पल कोरोना पॉजिटिव पाए गए।