बिलासपुर-छह साल पहले अधिग्रहित की गई जमीन का नए कानून के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। रायपुर निवासी कमल जैन की आरंग क्षेत्र में जमीन है, जिसका अधिग्रहण आरंग के भू-अर्जन अधिकारी द्वारा 2015 में किया गया था। इसमें मुआवजा की गणना राज्य शासन द्वारा चार दिसंबर 2014 को जारी आदेश के अनुसार किया गया। ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर बाजार मूल्य की गणना करने का प्रावधान है। इसका विरोध करते हुए कमल जैन ने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में राज्य शासन द्वारा इस तरह से जारी आदेश की विधायी शक्ति को चुनौती दी गई थी। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के तर्को से सहमत होकर राज्य शासन द्वारा चार दिसंबर 2014 को जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया। साथ ही 2013 के जमीन अधिग्रहण कानून के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के लिए (1-2) गुणांक संबंधी उचित आदेश जारी कर 2014 के आदेश के आधार पर पुराने सभी प्रकरणों का पुर्नपरीक्षण करने कहा था। बाद में राज्य शासन ने संभावित आर्थिक भार को आधार बनाकर पुनर्विचार याचिका लगाई और पुराने प्रकरणों के पुर्नपरीक्षण करने संबंधी आदेश को वापस लेने का आग्रह किया। इस पर हाई कोर्ट ने आदेश का वह भाग हटा लिया। इसके बाद जैन ने फिर याचिका लगाई थी कि जिसमें कोर्ट का राज्य शासन को निर्देश था कि गुणांक संबंधी नया कानून बनाकर इनके आधार मुआवजा की पुर्नसमीक्षा, गणना की जाए। लिहाजा उन्होंने भू अधिग्रहण अधिकारी से पूरा मुआवजा दिए जाने की मांग की। राज्य शासन ने दो मई 2019 को कानून बना दिया कि ग्रामीण क्षेत्र में मुआवजा की गणना करते समय बाजार मूल्य का 2 गुणांक लागू होगा। इसके बाद भी भू-अर्जन अधिकारी द्वारा जैन के आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि राज्य शासन के आदेश चार दिसंबर 2014 के आदेश के आधार बनाया गया है। साथ ही यह भी बताया कि अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान नगरीय क्षेत्र घोषित कर किया गया है। भू-अर्जन अधिकारी के इस आदेश को उन्होंने राकेश दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में शासन से 2014-19 के बीच अधिग्रहित जमीन के संबंध में नया कानून बनाकर उन्हें उचित मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग की गई है। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।