इंसानियत हुई शर्मशार, निजी अस्पताल पर लगाए आरोप
ग्वालियर। एक गर्भवती महिला की लाश के कान काटकर उससे सोने के कुंडल नोच लिए गए। इंसानियत को शर्मशार करने वाली यह भयावह वारदात हुई है ग्वालियर के एक अस्पताल में। यहां के बसंत विहार कॉलोनी स्थित संस्कार हॉस्पिटल पर इलाज में लापरवाही के साथ ही यह गंभीर आरोप मृतका के परिजनों ने लगाए हैं। दरअसल धौर्य, तहसील बसेड़ी जिला धौलपुर राजस्थान से डिलीवरी के लिए 28 वर्षीय क्षमा को संस्कार अस्पताल लाया गया गया था। धौलपुर स्थित सरकारी अस्पताल से यह केस ग्वालियर रैफर हुआ था, परिजनों का कहा है कि धौलपुर में भी इलाज में लापरवाही हुई, इसलिए केस बिगड़ गया। ग्वालियर के संस्कार अस्पताल में महज आधा घंटे महिला भर्ती रही, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। परिजन जब एंबुलेंस से शव को घर ले जा रहे थे, तो रास्ते में उनकी नजर महिला के कान पर पड़ी जिससे खून निकल रहा था। महिला का एक कान कटा हुआ था जिसमें से सोने का कुंडल गायब था, वहीं दूसरे कान में कुंडल मौजूद था। लाश के कान को काटकर कुंडल नोच लिया गया था। परिजनों का आरोप है कि यह शर्मनाक करतूत अस्पताल के स्टाफ की है। रास्ते में जब लाश के कान से कुंडल गायब मिला तो मृतका के पति समेत अन्य रिश्तेदारों ने एंबुलेंस रोकने के लिए कहा। चालक ने निरावली स्थित पेट्रोल पंप पर रात 12ः40 बजे एंबुलेंस (एमपी30 सी 6902) को रोक दिया। परिजनों ने अस्पताल में फोन कर कान कटे होने की बात कही तो विवाद की स्थिति बन गई। एंबुलेंस चालक ने भी परिजनों से कह दिया कि पूरे पैसे दे दो, वरना लाश को यहीं उतारकर चले जाएंगे। 2500 रुपये देने के बाद भी एंबुलेंस चालक धौलपुर पहुंच कर ही रुक गया। गांव जाने के लिए 1500 रुपये और लिए। धौलपुर के सरकारी अस्पताल ने केस बिगाड़ दिया था, ऐसे में एंबुलेंस वाला ग्वालियर के संस्कार हॉस्पिटल ले आया। आधा घंटा भर्ती रखा फिर कह दिया कि इन्हें ले जाओ। इस बारे में मृतका के पति राममुकुट गौर का कहना है कि कान काटकर सोने का कुंडल निकालने का काम अस्पताल स्टाफ ने ही किया है, कोई और शव के संपर्क में नहीं आया। पत्नी का अंतिम संस्कार कर दिया है, मेरी तो औरत मर गई, कुछ कहने को नहीं हैं। वहीं संस्कार हॉस्पिटल के मैनेजर नफीस खान का कहना है कि हमने अपने अस्पताल के सभी सीसीटीवी जांच लिए हैं, किसी ने यह हरकरत नहीं की है। परिजनों के आरोप लगाने से क्या होता है। मुझे नहीं पता एंबुलेंस वालों ने कैसा व्यवहार किया। यह भी नहीं पता कि धौलपुर के सरकारी अस्पताल से रैफर होकर केस हमारे यहां क्यों आया।