नगर निगम भोपाल में ड्राइवरों के डीजल चोरी करने की बात कई बार सामने आई। इसमें सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई होती है। लेकिन दैनिक भास्कर के डीबी स्टार ने डीजल चोरी के पीछे की वजह जानने के लिए पड़ताल की। पता चला कि इसमें तो खुद निगम अफसरों का ही हाथ है।
अफसर ड्राइवरों से डीजल चोरी के लिए तो कभी नहीं कहते, पर उनसे हर हफ्ते वसूली करते हैं। डीबी स्टार ने हटाए गए कुछ कर्मचारियों से पूरा खेल समझने के लिए बातचीत की। उन्होंने वसूली करने वालों के नाम गिनाते हुए उनके कर्मचारियों से हफ्ता वसूली करते हुए 20 से अधिक वीडियो दिखाए।
भास्कर पड़ताल में सामने आया कि लिंक रोड नंबर 3 स्थित डीजल टैंक से संचालित परिवहन शाखा की मशीनरी विंग में 50 गाड़ियां हैं, 50 ड्राइवर हैं। इन्हें अफसर तय मात्रा से अधिक डीजल दिलवाते हैं। फिर गुपचुप तरीके से इनसे डीजल निकालकर बिकवा देते हैं। हर ड्राइवर से हफ्ते में 1 हजार रु. वसूली होती है।
यानी 50 ड्राइवर से हफ्ते में 50 हजार रु. वसूली होती है। डीजल चोरी समेत महीने में पूरा खेल 30 लाख रु. का है। निगम अफसरों की इस वसूली गैंग ने ड्राइवरों से डीजल चोरी के बाद उसे इकट्ठा करने के लिए टीम भी लगा रखी है। यह तय पॉइंट पर केन में डीजल लेकर उसे बेचती है।
इन 4 जगह बिकता है : भदभदा बस्ती, गोविंदपुरा पानी की टंकी, करोंद दशहरा मैदान, सीहोर नाका।
वाहन को डीजल पूरा देते हैं, लेकिन काम नहीं कराते मशीनरी विंग के वाहनों में शामिल क्रेन को रोज 25 लीटर, पोकलेन को 40 लीटर, जेसीबी को 40 लीटर, डंपर को 30 लीटर डीजल तय है। इन्हें तय मात्रा से अधिक डीजल देते हैं। इन्हें वर्कशॉप, वल्लभ भवन, लिंक रोड नंबर 3 सहित विभिन्न जोन में खड़ा करवाते हैं। हर पॉइंट पर गाड़ी बदल–बदल कर खड़ी करवाते हैं ताकि पकड़ में न आ पाएं।
ड्राइवर से अतिरिक्त डीजल पैसे मांगते हैं और काम न करने के बदले एक हजार रुपए प्रति सप्ताह लेते हैं। इनके 8 दिन के वीडियो–फोटो डीबी स्टार के पास मौजूद हैं।
ये भी गैंग में शामिल : सादिक, उबैस और अयास तीनों चोरी का डीजल इकट्ठा करके बेचते हैं। इनमें उबैस पूर्व में ईदगाह हिल्स में डीजल खरीदी करते हुए पकड़ा जा चुका है। अयास खड़े वाहनों से डीजल निकलवाता है। मो. वसी, वसूली करने वाला : ये परिवहन शाखा में बतौर ड्राइवर तैनात है। यह भी हामिद के इशारे पर ड्राइवरों से हफ्ता वसूली करते हैं।
जो ड्राइवर इनकार करे, उसे हटा देते हैं, भास्कर के पास अवैध वसूली के फुटेज
अंधेरे कमरे में वसूली, कोड वर्ड- माचिस यानी 500 रु., सिगरेट यानी 1000 रु.
अफसरों ने ड्राइवरों से वसूली के लिए कुछ खास लोग तय कर रखे हैं। ये निगम के कर्मचारी हैं, पर उगाही का काम करते हैं। हफ्ते की वसूली अक्सर शनिवार को अंधेरे कमरे में होती है। बाहर सबके सामने ड्राइवर को माचिस या सिगरेट का पैकेट देने को कहा जाता है। माचिस यानी 500 रुपए, सिगरेट यानी 1000 रु.।
सुनील नामदेव, निगम में क्लर्क, वसूली करता है तस्वीर में दिख रहा शख्स सुनील नामदेव है। यह परिवहन शाखा में बतौर क्लर्क सेवाएं दे रहा है। मशीनरी विंग के मुखिया हामिद खान का करीबी है। अंधेरे कमरे में ड्राइवर इसे ही पैसे देते हैं। पूर्व में खुद हामिद सीधे ड्राइवरों से रुपए लेता था।
ये तरीका भी; निजी वाहनों को निगम के पंप से डीजल देते हैं
निगम की परिवहन शाखा से सभी जोनों में अलग-अलग काम के लिए सरकारी वाहनों के अलावा प्राइवेट वाहन भी भेजे जाते हैं। इनसे भी उगाही होती है। डीबी स्टार के पास प्राइवेट वाहनों के भी वीडियो-फोटो हैं, जिसमें निगम के पंप से निजी वाहनों में डीजल भरा जा रहा है। इनका अनुबंध डीजल सहित काम करने का किया जाता है। अफसर इमरजेंसी काम का तर्क देते हैं।
निजी काम करवाकर सहायक स्वास्थ्य अधिकारी करता है वसूली
मशीनरी विंग के वाहनों का उपयोग लोगों के निजी काम कराने के लिए भी होता है। सहायक स्वास्थ्य अधिकारी (एएचओ) अपने क्षेत्र के लोगों के निजी काम कराते हैं। निजी प्लॉट पर मामूली राशि (500-1000 रु.,) का स्पॉट फाइन लगाकर उनसे पूरे काम के 10 हजार रु. लिए जाते हैं। सभी जोन में मशीनरी विंग से ही वाहन भेजे जाते हैं।