वाशिंगटन। कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से सारे संबंधों को समाप्त कर दिया है। इन सभी संबंधो के टूटने के बाद से अमेरिका अब डब्ल्यूएचओ को हर तरह की मदद देना बंद कर देगा और इसका असर दुनिया के कई देशों पर पडऩे वाला है। अमेरिका के इस कठोर फैसले के बाद यूरोपीय संघ ने शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से अनुरोध करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ के फंडिंग कटौती पर फिर से विचार करें। यूरोपीय संघ ने भारत समेत अन्य देशों का हवाला देते हुए कहा कि इन देशों में कोरोना का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है इसलिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और डब्ल्यूएचओ की मदद करें।
यूरोपीय संघ ने कहा कि वैश्विक सहयोग ही इस लड़ाई (कोरोना वायरस के खिलाफ) को जीतने के लिए एकमात्र प्रभावी विकल्प है। उन्होंने कहा कि यह एकजुट रहने का वक्त है। यह किसी को निशाना बनाने या बहुपक्षीय सहयोग को कम करने का समय नहीं है। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली मखिजे ने ट्रंप के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। वहीं जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने ट्रम्प के फैसले को गलत समय पर गलत कदम कहा। उन्होंने कहा कि बर्लिन अमेरिकी सरकार को इस मामले पर पुनर्विचार के लिए अनुरोध करेगा। बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से अमेरिका के संबंध खत्म करने की घोषणा की थी। ट्रंप ने कहा कि डब्लूएचओ पूरी तरह चीन के नियंत्रण में है। अब तक उसे दिया जाने वाला फंड दूसरे संगठनों को दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण और हांगकांग को लेकर चीन के हालिया रुख से खफा ट्रंप ने उसके खिलाफ कई नए प्रतिबंध लगाने का भी एलान किया है।