लंदन । मंगल पर मौसम के बदलने और तूफानों के उफनाने के साथ वायुमंडल से पानी लीक हो रहा है। मंगल पर पानी बर्फीली चोटियों तक सीमित माना जाता है। इसके अलावा यह पतले वायुमंडल में गैस के रूप में मौजूद है। पानी इस ग्रह से अरबों साल से जा रहा है, जब से इसका चुंबकीय क्षेत्र खत्म हुआ है। यह पाया गया है दो अलग-अलग स्टडीज में। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के बयान में कहा गया है कि वायुमंडल सतह और अंतरिक्ष के बीच का लिंक होता है और इससे पता चल सकता है कि मंगल का पानी कैसे गायब हुआ। इन स्टडीज में टीम रेस्कोमार्स के स्पीकाम से डेटा लिया।
जमीन से 62 मील ऊपर तक वायुमंडल में भाप को कई साल तक स्टडी किया गया। उन्हें पता चला कि जब मंगल ग्रह सूरज से दूर होता है, करीब 40 करोड़ किमी दूर, तब भाप मंगल के वायुमंडल में सतह से सिर्फ 60 किमी ऊपर तक रह सकती है। हालांकि, जब यह सूरज के करीब जाता है तो भाप 90 किमी तक पाई जा सकती है।जब मंगल और सूरज एक-दूसरे से दूर होते हैं तो ठंड की वजह से भाप एक ऊंचाई पर जम जाती है लेकिन जब दोनों करीब होते हैं तो यह भी सर्कुलेट करते हुए दूर तक जाती है। गर्मी के मौसम में पानी की भाप दूर तक जाती है जिससे ग्रह पर से पानी कम होता है। ऊपरी वायुमंडल पानी से पूरी तरह नम हो जाता है और यहां समझा जा सकता है कि क्यों पानी के बाहर निकलने की गति इस मौसम में तेज हो जाती है।वैज्ञानिकों ने पाया है कि हर एक अरब साल पर मंगल से दो मीटर गहरी पानी की सतह खत्म हो जाती है। हालांकि, पिछले 4 अरब साल में मंगल का पानी कैसे खत्म हुआ, इस पर और रिसर्च की जानी है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि सारा पानी अंतरिक्ष में नहीं चला गया है। ऐसे में हो सकता है कि यह या तो अंडरग्राउंड हो या पहले ज्यादा तेजी से अंतरिक्ष में चला गया है। दूसरी स्टडी में पाया गया है कि मौसम के अलावा धूल का भी इस पर असर होता है। आठ साल के डेटा में मंगल पर आए धूल के तूफानों को स्टडी किया गया और पाया गया कि पानी उसके वायुमंडल में तेजी से ऊपर जाता है। जब ऐसे तूफान आए तो पानी 80 किमी ऊपर तक मिला।