दुबई । सऊदी अरब में प्रिंस सलमान के शासनकाल में महिला अधिकार कार्यकर्ता लोजैन अल हथलोल को पिछले कुछ सालों के दौरान अमानवीय व्यवहार झेलना पड़ा। हाल ही में खबरें सामने आई थीं कि लोजैन को किस तरह अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए दमन और प्रताड़ना का शिकार बनाया गया। अब महिला अधिकारों की आवाज उठाने वाली इस एक्टिविस्ट की रिहाई के समर्थन में दुनिया के कई हिस्सों से आवाज़ उठने लगी है और सऊदी अरब के रवैए के खिलाफ कई लोगों ने नाराज़गी जताई है।
महिला अधिकारों के लिए लगातार सक्रिय रहने के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार देने की भी पैरवी की गई है। सऊदी अरब में महिलाएं लिंगभेद की हमेशा से शिकार रही हैं। ऐसे में जब लोजैन ने व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाई तो कुछ नियमों में तो बदलाव हुए, लेकिन इसकी कीमत लोजैन को चुकानी पड़ी। इसके लिए उन्हें गिरफ्तारी, नज़रबंदी, धमकियों, प्रताड़नाओं यहां तक कि यौन शोषण और हत्या के खतरे का भी सामना करना पड़ा। पिछले दिनों सऊदी अरब की एक अदालत ने उन्हें आतंकवादी करार देकर करीब छह साल की कैद की सज़ा सुनाई। इस फैसले की दुनिया भर में प्रतिक्रिया हुई।
संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार वॉच और मानवाधिकारों से जुड़े कई विशेषज्ञों ने इस फैसले को निंदनीय बताया और आरोप लगाया कि सऊदी अरब का राज परिवार संदेह के घेरे में है। लोजैन की बहन लीना लगातार उनके साथ हो रहे दमनकारी सुलूक के विरोध में आवाज़ उठा रही हैं। सोशल मीडिया से लेकर राजनीति मंचों तक वह लोजैन के लिए समर्थन जुटा रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अत्याचारों के खिलाफ कैद में रहते हुए लोजैन ने भूख हड़ताल की, लेकिन कोर्ट ने सब बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए लोजैन, अन्य एक्टिविस्टों और लोजैन के परिवार पर ज़ुल्म करने वाले सभी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने लोजैन को दी गई सज़ा को 'न्याय विरुद्ध' बताया और मानवाधिकारों के साथ खड़े होने की बात कही। पेरिस के मेयर एन हिडाल्गो ने लोजैन की तत्काल रिहाई की मांग की है। बेल्जियम के विदेश मंत्रालय ने लोजैन का समर्थन करते हुए उसकी जल्द रिहाई की मांग करते हुए उनके प्रति हमदर्दी ज़ाहिर की है। जर्मनी की सांसद बारर्बेल कोफलर ने सऊदी अरब के रवैए पर नाराज़गी जताता और विरोध करता एक पूरा बयान जारी किया है। सऊदी अरब पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनने के बावजूद फिलहाल ऐसी खबर नहीं है कि लोजैन को रिहा करने पर विचार हो रहा है।
अक्टूबर 2020 में खबर आई कि लोजैन को शांति का नोबेल पुरस्कार देने के पक्ष में फ्रांस की एक अंतर्राष्ट्रीय अधिकार कमेटी ने प्रस्ताव रखा था। इससे पहले, फरवरी 2020 में अमेरिकी कांग्रेस के 8 सदस्यों ने नोबेल के लिए नामित किया था। जब ग्रेटा थनबर्ग को नोबेल की मांग हो रही थी, उसी समय लोजैन के लिए भी आवाज़ें उठ रही थीं। कनाडा की एनडीपी ने 2019 के नोबेल पुरस्कार के लिए लोजैन को नामित किया था।