वॉशिंगटन । अंतरिक्ष
में चीन और
रूस की बढ़ती
दखलअंदाजी से चिंतित
अमेरिका ने अपने
स्पेस कमांड को
मजबूत करने का
काम तेज कर
दिया है। अमेरिका
के पारंपरिक विरोधी
माने जाने वाले
देश अब जैमर,
ग्राउंड बेस्ड लेजर, ग्राउंड-और स्पेस-बेस्ड काइनेटिक हथियारों
का इस्तेमाल करने
की क्षमता रखते
हैं। रूस और
चीन जमीन पर
स्थित उन ठिकानों
को भी निशाना
बना सकते हैं,
जहां से अंतरिक्ष
में खुफिया सैटेलाइट्स
को कंट्रोल किया
जाता है।इसके बाद
अमेरिका ने भविष्य
के खतरे को
देखकर अपनी तैयारियों
को धार देना
शुरू कर दिया
है।
यूएस स्पेस कमांड के मेजर जनरल टिम लॉसन ने कहा है कि हम जल्द ही स्पेस में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि नई क्षमताएं दुश्मनों से पैदा होने वाले खतरों को कम करेगी। अमेरिका ने इसके लिए ब्लैक बजट प्रोजक्ट को शुरू किया है। जिसमें स्पेस कमांड को मजबूती देने के लिए कई नए हथियारों को विकसित करने के अलावा तेजी से अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना भी शामिल है।
चीन ने पहले ही एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण कर चुका है। वहीं, रूस ने ऑन-ऑर्बिट सिस्टम तैनात किए हैं जो अमेरिकी उपग्रहों को कभी भी निशाना बना सकते हैं। इस साल के शुरुआत में अमेरिकी टोही सैटेलाइट के पास रूस का कोस्मोस 2542 सैटेलाइट पहुंचा था। जिसके बाद अमेरिका ने भी खतरे की चेतावनी जारी की थी। बताया गया कि रूसी किलर सैटेलाइट अमेरिकी टोही सैटेलाइट के इतना करीब था कि वह उसकी सभी फोटोग्राफिक डिटेल्स को पा सकता था। तब भी अमेरिका ने कहा था कि रूस अंतरिक्ष में दुश्मन देश की सैटेलाइट को निष्किय या नष्ट करने का अभ्यास कर रहा है। अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा खोजी सैटेलाइट्स हैं जो दुनियाभर के देशों की जासूसी के साथ खुफिया सूचनाएं इकठ्ठा करते हैं। अगर इन्हें चीन या रूस में से किसी भी एक देश ने नष्ट कर दिया तो अमेरिका को युद्ध में अंधों की तरह लड़ाई करनी होगी, क्योंकि उसके पास खुफिया सूचनाएं आने में परेशानी होगी।