वाशिंगटन । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा' द्वारा भेजे गए रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। एजेंसी ने रात करीब 2।30 बजे अपने मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर के पास लैंड करने में सफलता हासिल की। अमेरिका अब मंगल पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। कैलिफोर्निया के पासाडेना में अंतरिक्ष एजेंसी की जेट प्रॉपल्जन लेबोरेटरी में ग्राउंड कंट्रोलर अधिकारियों ने रोवर ‘पर्सवियरन्स' के मंगल ग्रह की सतह पर उतरने की पुष्टि की। उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना पर खुशी जताई और राहत की सांस ली।
सफल लैंडिंग के बारे में धरती तक सिग्नल पहुंचने में साढ़े ग्यारह मिनट का समय लगा और यह समाचार मिलते ही इस प्रोजेक्ट में लगे वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली। अब तक की सबसे जोखिम भरी और ऐतिहासिक खोज का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था। अभियान के तहत ग्रह से चट्टानों के टुकड़े भी लाने का प्रयास किया जाएगा जो इस सवाल का जवाब खोजने में अहम साबित हो सकते हैं।
यान नियंत्रक स्वाति मोहन ने घोषणा की कि सतह पर पहुंचने की पुष्टि हुई। ‘पर्सवियरन्स' मंगल की सतह पर सुरक्षित तरीके से पहुंच चुका है। पिछले एक सप्ताह में मंगल के लिए यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले सऊदी अरब अमीरात और चीन के एक-एक यान भी मंगल के पास की कक्षा में प्रवेश कर गए थे। नासा की पासाडेना, कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रणोदन प्रयोगशाला में ‘पर्सविरन्स' को लाल ग्रह की सतह पर उतारने को लेकर काफी हलचल थी। छह पहिए वाला यह उपकरण मंगल ग्रह पर उतरकर जानकारी जुटाएगा और ऐसी चट्टानें लेकर आएगा जिनकी सहायता से इन सवालों का जवाब मिल सकते हैं कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है। इस परियोजना के वैज्ञानिक केन विलिफोर्ड ने कहा कि‘ क्या हम इस विशाल ब्रह्मांड रूपी रेगिस्तान में अकेले हैं या कहीं और भी जीवन है? क्या जीवन कभी भी, कहीं भी अनुकूल परिस्थितियों की देन होता है? पर्सविरन्स नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है।