अश्गाबात । पालतू जानवरों में कुत्ते की प्रजाति को सबसे वफादार की श्रेणी में रखा गया है और यह यू ही नहीं है इसकी ताजा मिसाल मध्य एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान में देखने को मिली है। यहां एक स्थानीय कुत्ते की नस्ल को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय अवकाश का ऐलान किया गया है। राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुक्खामेदोव ने मध्य एशियन शेफर्ड कुत्ते की नस्ल अलाबाई की प्रशंसा करते हुए छुट्टी का आदेश दिया है। हर साल यह छुट्टी अप्रैल महीने के अंतिम रविवार को होगी। पड़ोसी देश रूस में भी इसी दिन को स्थानीय घोड़े की नस्ल को समर्पित किया गया है। बर्डीमुक्खमेदोव साल 2006 से ही तुर्कमेनिस्तान की सत्ता पर काबिज हैं। उन्होंने खुद को तुर्कमेनिस्तान के अर्कदाक या रक्षक के रूप में प्रदर्शित किया है। प्राकृतिक गैस से संपन्न तुर्कमेनिस्तान पहले सोवियत रूस का हिस्सा था। लगभग 60 लाख की आबादी वाले इस देश में सदियों से पशुओं को विशेष महत्व दिया जाता है। यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी पशुपालन पर ही आश्रित हैं। गुरबांगुली बर्डीमुक्खामेदोव कुत्ते की अलाबाई प्रजाति को लंबे समय से काफी पसंद करते हैं जो देश में ही पैदा होती है और इसे तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा माना जाता है। गुरबांगुली ने कुत्ते की इस प्रजाति को समर्पित करके कई किताबें और कविताएं लिखी हैं। वह इस कुत्ते को उपलब्धि और विजय का प्रतीक मानते हैं। उन्होंने एक बार तो अलबी प्रजाति के एक कुत्ते को रूस के राष्ट्रपति को गिफ्ट के रूप में दिया था।
राष्ट्रपति गुरबांगुली ने नवंबर 2020 में ही अपने पसंदीदा कुत्ते की 50 फुट की 'सोने' की मूर्ति बनवाई थी। यह मूर्ति राजधानी अश्गाबात के नए नवेले इलाके के मध्य में बनाई गई है। अलाबाई कुत्ते की इस मूर्ति का अनवारण खुद राष्ट्रपति गुरबांगुली ने किया था। तुर्कमेनिस्तान की सरकार ने बताया कि यह मूर्ति कांसे की बनी है और इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली साल 2015 में अपनी भी सोने की मूर्ति बनवा चुके हैं। एक तरफ तुर्कमेनिस्तान के शासक कुत्ते के लिए खजाना खोल दिया है, वहीं देश की जनता गरीबी में जिंदगी गुजारने को मजबूर है। देश में स्वतंत्र प्रेस की हालत उत्तर कोरिया से भी खराब है। देश की अर्थव्यवस्था तेल और प्राकृतिक गैस की वजह से तेजी से बढ़ रही है लेकिन इसका फायदा सिर्फ अमीरों को हो रहा है।