जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोविड-19 के कारण रोजगार व राष्ट्रीय आय के क्रम में सभी देश पीछे हो गए हैं।
इसका असर अगले साल भी रहेगा और 20 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है। अभी 10.8 करोड़ कामगार गरीब या अत्यंत गरीब की कैटेगरी में आ गए हैं। 164 पृष्ठों वाले विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य: रूझान 2021 में संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने रिपोर्ट में कहा है कि महामारी से रोजगार बाजार पर असर हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, ठोस नीतिगत प्रयासों के अभाव के कारण महामारी ने अप्रत्याशित तबाही मचाई है। इसका असर कई वर्षों तक रहेगा। इसमें आगे कहा गया है कि 2020 में कुल कामकाजी समय में भी नुकसान देखा गया जो 8.8 फीसद है। यह समय 25.5 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक के एक साल तक काम करने के बराबर है। रिपोर्ट की माने तो महामारी के वैश्विक संकट से दुनिया भर में उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या 2021 में 7.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी और 2022 में यह 2.3 करोड़ होगी। रोजगार और कामकाजी घंटे में कमी से बेरोजगारी का संकट और गहरा हो जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि महामारी का संकट नहीं आता तो दुनिया में 30 करोड़ नए रोजगार 2020 में ही हो जाते।