जेनेवा । म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा कि उत्तरी रखाइन राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात सैनिकों को बड़े शहरों में भेजा जा रहा है। सैन्य सरकार के इस कदम से देश में हिंसा और जान-माल के नुकसान की आशंका है। विशेष दूत टॉम एंड्रयूज ने एपी से कहा कि सैन्य तख्तापलट के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ शुरू में संयम बरत रही पुलिस ने बाद में कई मौके पर रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया, गोलीबारी की और पानी की बौछारें की। उन्होंने कहा कि वह सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर पुष्टि कर सकते हैं कि रखाइन प्रांत से सैनिकों को कुछ घनी आबादी वाले शहरों में भेजा गया है। रखाइन में 2017 में सेना की कार्रवाई के बाद रोहिंग्या समुदाय के सात लाख से ज्यादा लोगों को बांग्लादेश में पनाह लेनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि म्यांमार में नौकरशाहों का एक बड़ा धड़ा हड़ताल पर है और सभी निजी बैंक बंद हैं। एंड्रयूज ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा म्यांमा के सैन्य अधिकारियों और हथियारों की खरीद पर रोक लगाने का कदम प्रभावी होगा लेकिन अगर इससे फर्क नहीं पड़ता है तो आर्थिक पाबंदी लगानी होगी।’’ अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने भी म्यांमा के खिलाफ पिछले सप्ताह कुछ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी और आगे के दिनों में रुख और कड़ा करने की बात की थी। कुछ अन्य देशों ने भी म्यांमा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। म्यांमा में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए सू ची समेत कई प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया था। सेना ने कहा है कि सरकार पिछले साल हुए चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच करने में नाकाम रही, जिस वजह से सेना को दखल देना पड़ा। इस चुनाव में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की जबर्दस्त जीत हुई थी। हालांकि, चुनाव आयोग ने किसी भी धांधली से इनकार किया है।