म्यांमार । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ हिंसा और सैकड़ों नागरिकों की मौत की निंदा की है। तख्तापलट के बाद सेना के खिलाफ भविष्य में की जाने वाली संभावित कार्रवाई के खतरे को कम कर दिया। म्यांमा की सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट किया और एक साल के लिए सत्ता अपने हाथ में ले ली। सेना ने म्यांमा की नेता आंग सान सू ची और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत शीर्ष राजनीतिक शख्सियतों को हिरासत में ले लिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्यों के बीच बुधवार को शुरू हुई गहन चर्चा के बाद जारी बयान में म्यांमा में ‘‘बदतर होती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई’’ और परिषद ने एक बार फिर सेना से ‘‘अधिक संयम बरतने’’ का आह्वान किया। ब्रिटेन द्वारा तैयार की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई, जिसे सभी 15 सदस्यों ने मंजूरी दी है।
परिषद के राजनयिकों ने बताया कि असल मसौदा काफी कठोर था, जिसमें प्रतिबंध लगाने सहित सुरक्षा परिषद के अन्य कदमों पर विचार करने को तैयार होने का जिक्र था। लेकिन म्यांमा के पड़ोसी एवं दोस्त चीन के जोर देने पर अंतिम बयान में बदलाव किए गए और ‘‘आगे की कार्रवाई’’ का जिक्र हटा दिया गया और ‘‘हत्या’’ तथा ‘‘निंदा’’ जैसे शब्दों की जगह नरम शब्दों का इस्तेमाल किया गया। अंतिम बयान में ‘‘आगे की कार्रवाई’’ को इस वाक्य में बदल दिया गया कि परिषद के सदस्यों ने ‘‘ इस बात पर जोर दिया है कि वे स्थिति पर करीब से नजर बनाए रखेंगे और मामले पर विचार करते रहेंगे।’’ इस बीच, म्यांमा में सेना द्वारा तख्तापलट के दो महीने होने पर विभिन्न शहरों में लोगों ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया और लोकतंत्र को बहाल करने तथा हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की मांग की। म्यांमार में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की है। पश्चिमी देशों द्वारा सैन्य शासन के खिलाफ पाबंदी के बावजूद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गोलीबारी की घटनाएं जारी हैं। देश के सबसे बड़े शहर यांगून में सूर्योदय के तुरंत बाद युवाओं के एक समूह ने प्रदर्शन में मारे गए 500 से ज्यादा लोगों की याद में शोक गीत गाए। इसके बाद उन्होंने जुंटा शासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपदस्थ नेता आंग सान सू ची को रिहा करने तथा लोकतंत्र को बहाल करने की मांग करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन किया।