वॉशिंगटन। संयुक्त अरब अमीरात ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह कबूल किया है कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने में मदद कर रहा है। अमेरिका में यूएई के एम्बेसेडर यूसुफ अल ओटायबा ने कहा- हम चाहते हैं कि ये दोनों देश अच्छे दोस्त भले ही न बन सकें, लेकिन कम से कम बातचीत तो शुरू होनी ही चाहिए ताकि इस क्षेत्र में अमन कायम हो सके। पिछले महीने भारत और पाकिस्तान अचानक एलओसी पर संघर्ष विराम के लिए राजी हुए थे। तब कुछ मीडिया रिपोट्र्स में कहा गया था कि यूएई दोनों देशों के बीच बैक डोर डिप्लोमैसी में मदद कर रहा है। हालांकि, यह पहली बार है कि यूएई ने अपनी भूमिका स्वीकार की है। यूसुफ ने बुधवार को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक वर्चुअल सेशन में शिरकत की। यहां भारत-पाकिस्तान रिश्तों और इनमें यूएई की भूमिका पर सवाल भी पूछे गए। एक सवाल के जवाब में इस डिप्लोमैट ने कहा-दोनों देश एटमी ताकत से लैस हैं। इनके बीच हेल्दी रिलेशन जरूरी हैं। यह जरूरी नहीं कि इन दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती ही हो। लेकिन, कम से कम दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। बातचीत जरूरी है।
कट्टरपंथियों से डरती है इमरान सरकार
पिछले दिनों पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने भारत से कपास और शक्कर के आयात को मंजूरी दी थी। इन दोनों ही चीजों की वहां बेहद किल्लत है। कॉटन न होने की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर है। रमजान के पवित्र महीना चल रहा है और पाकिस्तान में इस वक्त शक्कर की कीमत 115 रुपए प्रति किलोग्राम है। बहरहाल, हम्माद के ऐलान के अगले ही दिन इमरान सरकार ने इन दोनों चीजों के इम्पोर्ट करने का फैसला वापस ले लिया। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि 24 घंटे में फैसला बदलने के पीछे कट्टरपंथियों का दबाव था।