अंकारा। तुर्की ने फिर पाकिस्तान का साथ देने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में जम्मू और कश्मीर का मुद्दा उठाया है। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुट कावुसोग्लू ने मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र को संबोधित कर कहा कि हम भारत सरकार से मांग करते हैं, कि वह जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंधों में ढील प्रदान करे। हम संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आधार पर जम्मू कश्मीर की समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से वहां के लोगों की अपेक्षाओं के हिसाब से हल होते देखना चाहते हैं। इसके पहले कई मौकों पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठा चुके हैं। पिछले साल सितंबर महीने में एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर कश्मीर राग छेड़ा था। उन्होंने कहा था कि कश्मीर एक ज्वलंत मुद्दा है और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए बेहद अहम है। जम्मू कश्मीर के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को हटाने के बाद समस्या और भी गंभीर हो गई है। हम इस समस्या का संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत हल चाहते हैं। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान की तारीफ भी की थी।
पिछले साल अगस्त में ईद उल अजहा के मौके पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री इमरान खान से बात करते हुए कश्मीर पर समर्थन का आश्वासन दिया था। एर्दोगन ने पहले भी कई बार कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से की है। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत पर कोरोना काल में भी कश्मीर में अत्याचार का झूठा आरोप भी लगाया था। जबकि सच्चाई यह है कि कश्मीर पर भारत को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे एर्दोगन तुर्की मे खुद एक कट्टर इस्लामिक तानाशाह के रूप में जाने जाते हैं। तुर्की अब पाकिस्तान के बाद 'भारत-विरोधी गतिविधियों' का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल और कश्मीर समेत देश के तमाम हिस्सों में कट्टर इस्लामी संगठनों को तुर्की से फंड मिल रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की भारत में मुसलमानों में कट्टरता घोलने और चरमपंथियों की भर्तियों की कोशिश कर रहा हैं। उसकी यह कोशिश दक्षिण एशियाई मुस्लिमों पर अपने प्रभाव के विस्तार की कोशिश है। एर्दोआन ने पिछले साल ऐतिहासिक हगिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदल दिया जो सन 1453 तक एक चर्च रहा था। एर्दोआन मुस्लिम जगत में सऊदी अरब की बादशाहत को चुनौती देने की लगातार कोशिशों में लगे हैं। पिछले साल उन्होंने मलयेशिया के तत्कालीन पीएम महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान पीएम इमरान खान के साथ मिलकर नॉन-अरब इस्लामी देशों का एक गठबंधन तैयार करने की कोशिश की थी।