दुनिया के शीर्ष मेकअप ब्रांड के प्रोडक्ट में पहली बार अत्याधिक जहरीले केमिकल फ्लोरीन की पुष्टि हुई है। शोधकर्ताओं ने अमेरिका और कनाडा में इस्तेमाल हो रहे लिपस्टिक, आईलाइनर, लिप बाम, ब्लश, नेल पॉलिश, मस्कारा और फाउंडेशन जैसे 231 प्रोडक्ट के नमूनों की जांच की। इनमें से आधे नमूनों में जहरीले केमिकल मिले हैं।
जांच में शामिल वाटरप्रूफ मस्कारा के 82% ब्रांड, फाउंडेशन के 63% और लिक्विड लिपस्टिक के 62% ब्रांड में जहरीला तत्व फ्लोरीन मिला है। यह तत्व कैंसर, बर्थ डिफेक्ट, लिवर, थायराइड, इम्युनिटी में कमी, हार्मोन संबंधी गंभीर बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल इनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुई है। ग्रीन साइंस पॉलिसी इंस्टीट्यूट के शीर्ष वैज्ञानिक और इस स्टडी के शोधकर्ताओं में से एक टॉम ब्रूटन कहते हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स में जहरीले तत्वों की इतनी अधिक मात्रा देखकर रिसर्चर्स तक हैरान रह गए।
उनके मुताबिक ब्यूटी उत्पादों में फ्लोरीन जैसे जहरीले तत्व का पता लगाने वाला यह पहला अध्ययन है। यह ऐसा उत्पाद है जिसका लोग जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए नुकसान की आशंका बहुत अधिक है। शोधकर्ताओं ने लॉरियल, उल्टा, मैक, कवर गर्ल, क्लिनिक, मेबेललाइन, स्मैशबॉक्स, नार्स, एस्टी लॉडर जैसे शीर्ष 80 सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों के प्रोडक्ट की जांच की है। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह नहीं बताया कि किन कंपनियों के किस प्रोडक्ट में यह केमिकल मिला है।
शोध में शामिल 88% प्रोडक्ट इस्तेमाल किए जा रहे इन्ग्रेडिएंट्स की सही जानकारी नहीं देते हैं। कंपनियां अपने लेबल पर भी फ्लोरीन के इस्तेमाल की जानकारी नहीं देती हैं। इससे उपभोक्ता के लिए ऐसे प्रोडक्ट से बचना लगभग असंभव हो जाता है। संस्था का कहना है कि उन्हें 48% प्रोडक्ट्स में फ्लोरीन का उच्च स्तर नहीं मिला हैं। यानी ब्यूटी प्रोडक्ट इस केमिकल के बिना बन सकते हैं। इसलिए सरकार को इस केमिकल के इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त कानून लाना चाहिए।