हॉन्गकॉन्ग । कोरोना वायरस स्वास्थ्य के साथ-साथ कई तरह की बहुस्तरीय समस्याएं लेकर आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्तेमाल किए गए मास्क की वजह से इस साल समुद्री इकोसिस्टम भी बहुत ज्यादा प्रदूषित होगा।लगभग 150 करोड़ इस्तेमाल किए गए फेस मास्क विभिन्न माध्यमों से इस साल समुद्र में पहुंचेंगे। इन हजारों टन प्लास्टिक से समुद्री जल में फैले प्रदूषण के कारण समुद्री वन्य जीवन को भारी नुकसान होगा। हॉन्गकॉन्ग की पर्यावरण संरक्षण संस्था ओशंस एशिया ने इस संबंध में एक ग्लोबल मार्केट रिसर्च के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से इस साल लगभग 5200 करोड़ मास्क बने हैं। परंपरागत गणना के आधार पर इसका 3 फीसदी समुद्र में पहुंचेगा। ये सिंगल यूज फेस मास्क मेल्टब्लॉन किस्म के प्लास्टिक से बना होता है। इसके कम्पोजिशन, खतरे और इंफेक्शन की वजह से इसे रिसाइकिल करना काफी मुश्किल होता है। यह हमारे महासागरों में तब पहुंचता है जब यह कूड़े में होता या लापरवाही से कहीं भी फेंक दिया जाता है या जब हमारा कचरा प्रबंधन सिस्टम अपर्याप्त या फेल हो जाता है। प्रत्येक मास्क का वजन तीन से चार ग्राम होता है। इस स्थिति में लगभग 6800 टन से ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण पैदा होगा। इसे खत्म होने में लगभग 450 साल लगेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मास्क को कान में लगाने के लिए लगा रबर या प्लास्टिक रस्सी समुद्री जीवों के लिए उलझाव का कारण बन रही है। अगस्त में मियामी बीच पर सफाई के दौरान डिस्पोजेबल मास्क में फंस कर एक मरी हुई पफर फिश मिली थी। सितंबर में ब्राजील में एक मरी हुई पेंग्विन मिली थी, जिसके पेट में मास्क पाया गया था।