-ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने किया दावा
लंदन । जिन पुरुषों की अनामिका उंगली की लंबाई ज्यादा होती है, वायरस से उनकी मौत का खतरा उतना ही कम हो जाता है। यह दावि किया है शोधकता वैज्ञानिकों ने। ब्रिटेन की स्वानसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में 41 देशों के 2 लाख से ज्यादा मरीजों का डेटा लिया और उसकी जांच की। इसमें भारत से भी 2274 पुरुषों की केस स्टडी ली गई। इसमें पाया गया कि जिन पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी होती है, उनमें कोरोना से मौत का खतरा 30प्रतशित तक बढ़ जाता है। वहीं जिनकी रिंग फिंगर मिडिल फिंगर से खास छोटी नहीं है, उन्हें कोरोना होगा भी तो माइल्ड लक्षणों वाला होगा और मौत का डर काफी कम रहता है। स्टडी में शामिल मुख्य रिसर्चर प्रोफेसर जॉन मैनिंग के मुताबिक रिंग फिंगर का संबंध टेस्टोस्टेरॉन से होता है, जो असल में एक मेल हार्मोन है। ये हार्मोन मां के गर्भ में पुरुषों में तैयार होता है। जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का प्रतिशत ज्यादा होता है, उनमें वायरस के संक्रमण का डर उतना ही कम रहता है। माना जा रहा है कि इस हार्मोन से शरीर में एसीई-2 रिसेप्टर्स की संख्या तय होती है। अगर टेस्टोस्टेरॉन कम है तो एसीई-2की संख्या कम होगी।
वैज्ञानिक मानते हैं कि इन्हीं रिसेप्टर के जरिए वायरस शरीर में घुसता है। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि रिसेप्टर्स की संख्या ज्यादा होने पर कोरोना हमले के बाद भी फेफड़ों को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता है और मरीज में माइल्ड लक्षण ही रहते हैं। वैसे उंगलियों की लंबाई के लिहाज से देखें तो अलग-अलग देशों में डेथ रेट अलग-अलग साफ दिखती है। कई देशों जैसे ब्रिटेन, बुल्गारिया और स्पेन जैसे देश, जहां के पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी दिखी, वहां कोरोना के कारण पुरुषों की मौत की दर भी ज्यादा दिखी। वहीं रूस, मलेशिया और मैक्सिको में कोरोना के कारण पुरुषों में मौत की दर कम देखी गई, जहां के पुरुषों की उंगलियां लंबी ही होती हैं। इसपर एक विस्तृत रिपोर्ट आई है जो बताती है कि पूर्वी एशिया के देशों से लेकर न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया के पुरुषों की भी उंगलियां लंबी होने के कारण वहां कोरोना के कारण फेटलिटी रेट कम है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने मरीजों की तर्जनी और अनामिका उंगलियों की माप ली। इसके बाद अनामिका यानी रिंग फिंगर की लंबाई को तर्जनी की लंबाई से भाग दे दिया। नतीजे को डिजिट रेश्यो कहा गया।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर ये रेश्यो कम (लगभग 0.976) है तो पुरुष मरीज के कोरोना से सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा है। बता दें कि ये रेश्यो कम उसी सूरत में आया है, जब रिंग फिंगर लंबी हो। वहीं ये रेश्यो ज्यादा आए तो कोरोना से खतरा बढ़ जाता है। वहीं महिलाओं की उंगलियों का कोरोना से संबंध नहीं दिखा इसलिए उन्हें अलग से बड़ी स्टडी में नहीं लिया गया। वैसे इससे पहले भी वैज्ञानिक दावा कर चुके हैं कि महिलाओं का सेक्स हॉर्मोन उन्हें इस खतरनाक वायरस से बचा रहा है। अमेरिका में इसपर स्टडी हो रही है, जिसके तहत कोरोना मरीज पुरुषों में फीमेल सेक्स हार्मोन एक्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन डाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि हार्मोन के अलावा माना जा रहा है कि महिलाओं की जेनेटिक संरचना भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। वैसे कोरोना वायरस पहली बीमारी नहीं, जो पुरुषों को ज्यादा प्रभावित कर रही है। श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों से पुरुषों की मौत की दर ज्यादा होने के कारण इन बीमारियों को "मेन फलू" भी कहा जाता रहा है। मालूम हो कि दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब दुनियाभर में फैल चुका है। वायरस के खतरे को देखते हुए वैज्ञानिक रोज इसके टीके पर काम कर रहे हैं।