-वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी ने अध्ययन कर्ताओं ने किया दावा
वॉशिंगटन। चीन में कोरोना वायरस से कितनी मौतें हुई हैं यह अब तक रहस्य बना हुआ है? इस बारे में चीन ने जो आंकड़े दिए हैं, उसपर दुनिया यकीन नहीं कर पा रही है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि चीन ने वुहान में मौतों के आंकड़े 10 गुना कम करके दिखाए। वुहान में मौतों का सरकारी आंकड़ा 2,524 है। जबकि, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार वुहान में जनवरी से मार्च के बीच 36,000 लोगों की मौत हुई है।
यह अध्ययन वुहान के श्मशानों के डेटा पर आधारित है। अध्ययन के मुताबिक, जनवरी से मार्च के बीच वुहान के श्मशानों में चौबीसों घंटे अंतिम संस्कार हो रहे थे। चीन के मुताबिक, वुहान में कोरोना का पहला मामला जनवरी की शुरुआत में आया। मगर उससे पहले, दिसंबर 2019 में ही चीनी मेडिकल फोरम्स पर निमोनिया जैसी बीमारी की चर्चा शुरू हो चुकी थी। जनवरी खत्म होते-होते वुहान के अस्पतालों की कमर टूटने लगी थी। उनके पास 90 हजार बेड थे, होटल और स्कूलों में एक लाख बेड्स का इंतजाम और किया गया। मगर तब तक बीजिंग ने आधिकारिक आंकड़ा सिर्फ 33,000 का दिखाया। 23 मार्च तक, चीन ने वुहान में बाकी जगहों से 42,600 डॉक्टर्स और हेल्थवर्कर्स भेज दिए थे। वहां 90 हजार पहले से मौजूद थे। लेकिन 23 मार्च तक चीन ने सिर्फ 50 हजार मामले दिखाए।
दोनों विश्वविद्यालयों ने वुहान के आठ श्मशानों में हलचल का डेटा जुटाया। उनके मुताबिक, 25 जनवरी तक इन श्मशानों में 24 घंटे अंतिम संस्कार होने लगे थे। रिसर्चर्स ने सारे डेटा के आधार पर कहा कि फरवरी से पहले ही वुहान में चीन के आधिकारिक आंकड़े से 10 गुना ज्यादा मामले सामने आ चुके थे। आमतौर पर वुहान में श्मशान रोज चार घंटे चलते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 90 लाख आबादी वाले शहर में आमतौर पर रोज 136 अंतिम संस्कार होते हैं।
मगर जिस स्पीड से वहां अंतिम संस्कार हो रहे थे, उस हिसाब से दिन में 816 मरीजों का दाह संस्कार हो रहा था। इसके अलावा मोबाइल श्मशान अलग से काम कर रहे थे। स्टडी के मुताबिक, किसी-किसी दिन वुहान में 2100 मौतें तक हुईं। रिसर्चर्स ने अर्न (अस्थि कलश) की सेल का डेटा भी जुटाया। इसके मुताबिक, जनवरी से मार्च के बीच करीब 36,000 अर्न खरीदी गईं। स्टडी कहती है कि, सारे सोर्सेज से डेटा जुटाने के बाद यह पता चलता है कि वुहान में 23 मार्च तक करीब 36 हजार लोगों की मौत हुई थी, जो आधिकारिक आंकड़े - 2,524 के 10 गुने से भी ज्यादा है।