वाशिंगटन । धरती से अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह लगातार भेजे जा रहे हैं। दुनिया भर के देशों में ज्यादा से ज्यादा उपग्रहों को लांच करने की होड़ मची हुई है। इसे लेकर खगोल विज्ञानियों ने चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि उपग्रहों की भीड़ अंतरिक्ष के बारे में हमारी जानकारी को प्रभावित कर सकती है। ये कृत्रिम उपग्रह न केवल रात में अन्य क्षुद्रग्रहों के समान दिखाई देते हैं, बल्कि अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने में बाधा भी उत्पन्न कर रहे हैं। अमेरिका स्थित नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के नेशनल रिसर्च काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में पृथ्वी से रात को नजर आने वाली आकाश की स्थिति में भी बदलाव आ सकता है। इसके लिए वे उपग्रह जिम्मेदार होंगे, जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, अगले दशक में पृथ्वी की निचली कक्षा में 1.07 लाख सेटेलाइट लांच हो सकते हैं। ये भविष्य में अंतरिक्ष की खोज को प्रभावित कर सकते हैं।
अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के अध्यक्ष मेगन डोनह्यू के मुताबिक, ये उपग्रह सूचना और इंटरनेट के लिए तो शानदार हैं, लेकिन कई खगोलविदें की तरह वे भी इन नए उपग्रहों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। खगोलविदें का अनुमान है कि उपग्रहों का यह जमघट आकाश में सितारों की जगह प्रमुख चमकदार वस्तु बन सकता है। ये व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं और खगोलविद, पेशेवर और शौकिया तौर पर रात्रि में आकाश देखने वालों के काम को प्रभावित कर सकते हैं।
हबल स्पेस टेलीस्कोप ने 1995 में 10 दिनों के लिए आकाश का एक खाली हिस्सा देखा। इस छोटे से लक्ष्य ने हबल डीप फील्ड का पता लगाया, जो ब्रह्मांड के प्रारंभिक वर्षो तक फैली हजारों आकाशगंगाओं से भरा था। रिपोर्ट के अनुसार, आकाश में कई रहस्य हैं और धरती से ही विज्ञानी उन्हें प्रकट कर रहे हैं। अब नवीन रिपोर्ट में बताया गया है कि उपग्रहों की भीड़ इस कार्य को प्रभावित करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के समूहों द्वारा छोड़े जाने वाले प्रकाश मार्ग सौर मंडल के बाहर के क्षुद्र ग्रहों की परिक्रमा को बाधित करेंगे।