वॉशिंगटन । आज से अरबों साल बाद सूरज का खात्मा हमारी धरती को सौरमंडल की सबसे खराब जगह में बदल देगा। इस दौरान सूरज का आकार इतना बढ़ जाएगा कि वह बुध, शुक्र और हमारी पृथ्वी तक को अपने अंदर समेट लेगा। इस तरह की आशंकाओं से वैज्ञानिक डरे हुए हैं। हमारे वैज्ञानिकों का मानना है कि सूरज की वर्तमान उम्र 4.6 अरब साल हो गई है। जो इसके अनुमानित 10 अरब साल के जीवनकाल का लगभग आधा है।
आज से इतने ही साल बाद जब सूरज का हाइड्रोजन ईंधन खत्म हो जाएगा तो वह ऊर्जा पैदा करने के लिए भारी तत्वों का सहारा लेगा। उस समय सूरज का अनुक्रम चरण समाप्त हो जाएगा। उस समय सूरज के आकार में अजीबोगरीब परिवर्तन भी देखने को मिलेंगे। भारी तत्वों से ऊर्जा उत्पन्न करने के दौरान सूरज का हीलियम कोर सिकुड़ कर और गर्म हो जाएगा। इससे सूरज का आकार 100 गुना से भी अधिक बढ़ने की आशंका है। सूजा हुआ सूरज हमारे सौर मंडल के बुध, शुक्र और पृथ्वी को निगल जाएगा। तब अगर किसी दूसरे सोलर सिस्टम में कोई मौजूद रहा तो उसे हमारा सूरज लाल रंग के बड़े तारे के रूप में दिखाई देगा। इतने बड़े आकार में परिवर्तन के साथ ही सूरज के अंदर अलग तरह के फ्यूजन रिएक्शन शुरू हो जाएंगे। इसका बाहरी आवरण हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में जलाएगा और इससे पैदा हुए दूसरे प्रॉडक्ट सूरज के अंदर कोर को ऊर्जा प्रदान करेंगे। इससे सूरज का कोर और अधिक संकुचित और गर्म होगा। जब कोर 180 मिलियन डिग्री फॉरेनहाइट (100 मिलियन डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच जाएगा, तो इसका हीलियम जलने लगेगा और कार्बन और ऑक्सीजन में फ्यूज होना शुरू हो जाएगा। इससे सूर्य कुछ लाख साल के लिए सिकुड़ तो जाएगा, लेकिन बाद में फिर से 100 मिलियन साल के लिए फुल जाएगा।
जब इसके कोर का हीलियम खत्म होने के कगार पर पहुंचेगा तब सूरज की चमक और बढ़ जाएगी। उस दौरान बाहर की तरफ बह रही स्टेलर विंड सूरज के बाहरी आवरण को हटा देगी। यह सूरज को अपने जीवन चक्र के अंतिम चरण की ओर ले जाएगी। नासा के साइंस मिशन डॉयरेक्ट्रेट के खगोलशास्त्री एस एलन स्टर्न कहते हैं कि सूजा हुआ सूर्य हमारे सौरमंडल के कई ग्रहों को जलाकर राख कर देगा। पूरे सोलर सिस्टम में जहां-जहां भी पानी या बर्फ मौजूद होगा सब गायब हो जाएगा। सबसे दूर स्थित प्लूटो ग्रह जहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है वह भी किसी उष्णकटिबंधीय समुद्र तट के तापमान जितना गर्म हो जाएगा। मालूम हो कि सूरज से हमारे सौरमंडल को प्रकाश और गर्मी मिलती है। इसी के कारण धरती पर जीवन संभव हो पाया। प्राचीनकाल से लेकर अबतक धरती के अलग-अलग हिस्सों में लोग सूरज की देवता के रूप में पूजा भी करते रहे हैं।