जिनेवा । कोरोना फैलने को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा नए दावे किए जा रहे हैं। पूरी दुनिया के लोगों की नजरें कोरोना से संबंधित हर खबर पर टिकी रहती हैं। इस बीच विश्व स्वास्थय संगठन द्वारा हैरान करने वाला दावा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।डब्ल्यूएचओ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है,इसमें महामारी विशेषज्ञ डॉ. मारिया वेन ने कहा था, दुनिया में कोरोना मामले बढ़ने की वजह एसिम्प्टोमैटिक यानि बिना लक्षण वाले मरीज नहीं हैं। कोरोना तकनीकी प्रमुख डा.मारिया वान केरखोव बयान वाले वीडियो को यूट्यूब 50,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है।
डब्ल्यूएचओ के बयान के बाद पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के अलावा लोगों में भी सनसनी फैल गई थी। लेकिन फैक्ट चैक करने पर वीडियो का सच सामने आ गया। वायरल क्लिप 9 जून को डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग का हिस्सा है। पूरी ब्रीफिंग देखने पर पता चला कि डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 24 घंटे के अंदर अपने बयान पर सफाई दी जिसमें कहा था कि बिना लक्षण वाले मरीज से कोरोना नहीं फैलता। दुनियाभर में वैज्ञानिकों ने इसपर सवाल उठाए तब डब्ल्यूएचओ की महामारी विशेषज्ञ डॉ.मारिया वेन ने सफाई देकर कहा, यह एक गलतफहमी थी। 8 जून को डब्ल्यूएचओ की महामारी विशेषज्ञ डॉ. मारिया वेन ने कहा, एसिम्प्टोमैटिक मरीजों से भी संक्रमण फैल सकता है, लेकिन दुनिया में जिस तरह मामले बढ़ रहे हैं उसकी वजह ये मरीज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि खासकर युवाओं और दूसरे स्वस्थ लोगों में इस संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते या बहुत हल्के होते हैं। अभी हमारा फोकस केवल लक्षण वाले मरीजों पर है।
9 जून को डॉ. मारिया वेन ने कहा, मैंने बेहद दुर्लभ शब्द का इस्तेमाल किया, वह एक गलतफहमी थी। अभी हमारे पास इसका कोई जवाब नहीं है। मैं उस समय प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों का जवाब दे रही थी। मैं वह बताने की कोशिश कर रही थी जो समझ पा रही थी। मैंने ऐसा हालिया सामने आईं रिसर्च के आधार पर बोला था। 10 जून को डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने मामले पर सफाई देकर कहा, अभी इस पर और रिसर्च की जाने की जरूरत है। कोरोना का वायरस नया है। संगठन इससे हर समय कुछ न कुछ सीख रहा है। वायरस से जुड़ी जटिल चीजों को समझना आसान नहीं है लेकिन यह हमारी ड्यूटी है। हम हमेशा बेहतर कर सकते हैं। वहीं अमेरिका के जाने माने संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी ने इस मामले में कहा कि डब्ल्यूएचओ गलत था। वह अपने बयान से पलटा क्योंकि उसके बाद अपनी बात को साबित करने का कोई प्रमाण या मामले नहीं थे।