मॉस्को । जानलेवा विष नोविचोक बनाने वाले वाले रूसी बायोकेमिस्ट ने कोरोना वायरस की नई दवा का अविष्कार किया है। इस नर्व एजेंट के जरिए हाल में ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के घोर विरोधी एलेक्सी नवेलनी को मारने की कोशिश की गई थी। वहीं, साल 2012 में ब्रिटेन के सैलिसबरी में रह रहे डबल एजेंट सर्जेई और यूलिया स्क्रीपल को जहर देने के लिए रूसी खुफिया एजेंसी ने इसका इस्तेमाल किया था। यह जहर इतना घातक है कि इसकी एक बूंद से ही कई लोगों को मारा जा सकता है। इसका पता लगाना भी वैज्ञानिकों के लिए बहुत मुश्किल होता है। रूस के बायोकेमिस्ट डॉ. लियोनिद रिंक उस टीम में शामिल थे जिसने रूस के दुश्मनों को मारने के लिए घातक नर्व एजेंट नोविचोक को बनाया था। कोरोना वायरस की इस नई दवा को इमोफॉन के नाम से जाना जाता है। यह कुष्ठ रोग के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली सोवियत संघ के जमाने की एक दवा पर आधारित है। इसे डेप्सोन नाम के एक एंटीबॉयोटिक से विकसित किया गया है।
अब 74 साल के हो चुके इस रूसी वैज्ञानिक ने कहा कि यह दवा वायरल बीमारियों के खिलाफ काम करती है। यह दवा साइटोकिन स्ट्रॉम को खत्म करती है, जो कई विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। यह दवा कोरोना संक्रमित इंसानों के टिशू मेटाबोलिज्म को एक्टिवेट करने के साथ कोशिकाओं के फिर से बनने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए डिजाइन किया गया है। डॉ. लियोनिद रिंक ने कहा कि उनकी कंपनी इंटरविटा कोरोना वायरस सहित विभिन्न बीमारियों के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए इमोफॉन के पायलट बैचों का निर्माण कर रही है। इसके लिए रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बातचीत भी चल रही है। उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में निवेशक इस योजना का समर्थन कर रहे हैं।
नोविचोक सोवियत संघ के जमाने का नर्व एजेंट है। कहा जाता है कि रूसी खुफिया एजेंसी अपने बड़े शिकार को आसानी से मारने के लिए इसका इस्तेमाल करती है। इसको 1960 से 1970 के दशक में बनाया गया था। इस जहर को रूस की चौथी पीढ़ी के रसायनिक जहर को विकसित करने के कार्यक्रम फोलेन्ट के जरिए बनाया गया था। 1990 के पहले दुनिया को इस नर्व एजेंट के बारे में मालूम ही नहीं था। रूसी वैज्ञानिक डॉ. विल मिर्जानोव ने अपनी किताब स्टेट सीक्रेट्स में इस जहर के बारे में बताया था। नोविचोक जहर इससे पहले 2018 में भी सुर्खियों में था। जब रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रीपाल और उनकी बेटी यूलिया पर ब्रिटेन के सैलिसबरी शहर में इस जहर से हमला किया गया था। उस समय भी ब्रिटेन और रूस के संबंध काफी खराब हो गए थे। बताया जाता है कि स्क्रीपाल डबल एजेंट बन गया था। वह रूस की खुफिया जानकारी ब्रिटेन के साथ साझा कर रहा था। इसी के कारण उसकी हत्या कर दी गई थी।