लंदन । जियॉलजिस्ट्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने छिपा हुआ महाद्वीप खोजने का दावा किया है। वैज्ञनिकों का मानना है कि आइसलैंड के नीचे एक महाद्वीप डूबा हुआ है जिसे 'आइसलैंडिया' नाम दिया गया है। यह रिसर्च इसलिए अहम है क्योंकि अभी तक माना जाता रहा है कि महाविशाल महाद्वीप पेनग्या 5 करोड़ साल पहले टूट गया था। नई स्टडी के नतीजे साबित होने से यह साफ हो जाएगा कि यह पूरी तरह टूटा नहीं था। यह महाद्वीप ग्रीनलैंड से लेकर यूरोप तक फैला हुआ माना जा रहा है।
ब्रिटेन के डरहम यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेज के जियोफिजिक्स प्रफेसर जिलियन फाउलजर के नेतृत्व में स्टडी करने वाली टीम का मानना है कि यह महाद्वीप 6 लाख किमी स्क्वेयर का हो सकता है। इसमें अगर ब्रिटेन के पश्चिम का हिस्सा जोड़ दिया जाए तो 10 लाख किमी स्क्वेयर तक जा सकता है। यह रिपोर्ट अभी तक मानी जा रही कई थिअरीज को चुनौती देती है जिनसे उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में महासागर और महाद्वीप की क्रस्ट से लेकर आइसलैंड के बनने जैसी प्रक्रिया को समझा गया है। इसके अलावा खनिज और हाइड्रोकार्बन्स स्रोतों को लेकर भी चर्चा शुरू हो सकती है जो महाद्वीप के क्रस्ट में मिलते हैं। उनका कहना है कि डेटा के साथ यह ऑब्जर्वेशन तब बैठता है जब इस क्रस्ट को महासागर नहीं, महाद्वीप का माना जाए। इससे संकेत मिलता है कि इसके नीचे एक छिपा हुआ महाद्वीप है।
इसकी वजह से आइसलैंडिया की खोज ही नहीं, दुनिया की जियॉलजी की समझ को रोचक दिशा मिलती है। प्रोफेसर जिलियन का कहना है, 'अभी तक आइसलैंड को लेकर कई पहेलियां रही हैं क्योंकि इसे लेकर जो थिअरीज रही हैं उनके बारे में जियॉलजिकल डेटा नहीं मिला है। आइसलैंड के नीचे क्रस्ट 40 किमी की है जो आम महासागर की क्रस्ट से सात गुना ज्यादा है। इसकी वजह नहीं समझी जा सकी।'