लंदन । सूडान देश पिरामिडों की संख्या के मामले में मिस्र से कहीं आगे है। लोगों को इस देश का नाम सुनकर हैरानी होती है कि क्या यहां भी पिरामिड पाए जाते हैं। दरअसल, सूडान के पिरामिडों के बारे में दुनिया को बहुत ही कम जानकारी है। गृहयुद्ध, हिंसा और सैन्य तानाशाही का लंबे समय तक शिकार रहे इस मुल्क में इन पिरामिडों को देखने कोई पर्यटक नहीं आता है।
यही कारण है कि मिस्र से भी ज्यादा संख्या में पिरामिड होने के बावजूद यह देश बाकी दुनिया को इसके बारे में जानकारी नहीं दे पाया। इतना ही नहीं, खराब रखरखाव, लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण सूडान के पिरामिडों की स्थिति बेहद खराब है।रिपोर्ट्स के अनुसार, मिस्र में पिरामिडों की कुल संख्या 138 है, जबकि सूडान में ज्ञात पिरामिड 200 से 255 तक है। इनमें से कई के अब कुछ अवशेष मात्र ही बचे हैं। आपको अब भी लग रहा होगा कि सूडान के पिरामिड भी प्राचीन मिस्रवासियों ने ही बनाए होंगे, जो शायद दक्षिण की तरफ रास्ता भटक गए थे। पर, यह बिलकुल भी सही नहीं है। सूडान के पिरामिडों का निर्माण कुश साम्राज्य के राजाओं ने करवाया था। ये काफी प्राचीन सभ्यता के शासक माने जाते हैं, जिन्होंने 1070 ईसा पूर्व से 350 ईस्वी तक नील नदी के किनारे के क्षेत्रों पर शासन किया था।
कुश साम्राज्य ने मिस्र के पिरामिडों के बनने के लगभग 500 साल पहले निर्माण शुरू किया था। हालांकि, दोनों ही संस्कृतियों में इन पिरामिडों का इस्तेमाल अपने कुल के मृतकों की कब्र के रूप में ही किया गया। मिस्र के लोगों की तरह कुश साम्राज्य के राजाओं ने भी अपने किसी पूर्वज की मौत होने पर पिरामिड में कुछ धन भी दबा देते थे। उनका मानना था कि मरने के बाद स्वर्ग जाते समय मृतक को इन पैसों की जरूरत पड़ सकती है। इसके बावजूद मिश्र और सूडान के पिरामिडों में संरचात्मक अंतर साफ दिखाई देता है। सूडान के पिरामिड कहीं अधिक कठोर, छोटे और संकरे हैं। ये मिस्र की पिरामिडों की चिकनी सतहों के विपरीत पत्थरों के बड़े बड़े टुकड़ों से बने हुए हैं। मिस्र और सूडान की पिरामिडों के आकार में भी अंतर है। औसत कुशाइट पिरामिड लगभग 6 से 30 मीटर (20 से 98 फीट) लंबा होता है, जबकि मिस्र के पिरामिड की औसत लंबाई लगभग 138 मीटर (453 फीट) होती है। कुशाइट पिरामिडों की सबसे बड़ी संख्या एक प्राचीन शहर मेरोस में स्थित है। यह शहर आधुनिक सूडान के मध्य में स्थित है। अकेले इस शहर में देश के 255 पिरामिडों में से लगभग 200 हैं, जो बताता है कि किसी समय यह एक संपन्न महानगर था।
शोधकर्ताओं के पास अभी भी सूडानी पिरामिडों के बारे में बहुत सारे प्रश्न हैं जिनका वे अभी भी पूरी तरह उत्तर नहीं दे सकते हैं। अच्छी खबर यह है कि पुरातत्वविदों की टीम इस समय मेरोस में इसका पता लगाने के लिए काम कर रही है। पुरातत्वविद ऐसा करने के सबसे साफ तरीकों में से एक है ऊपर से क्षेत्र को स्कैन करने के लिए ड्रोन का उपयोग करना। सूडान उत्तर पूर्वी अफ्रीका महाद्वीप में स्थित है। यह अफ्रीकी महाद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा देश भी है। इसकी सीमाएं मिस्र, इथियोपिया, इरीट्रिया, लीबिया और चाड से मिलती हैं। लंबे समय तक गृहयुद्ध झेलने वाला यह देश अब दो भाग में बंट चुका है। यही कारण है कि 2011 में सूडान के कुछ हिस्से को मिलाकर दक्षिण सूडान नाम के नए देश की स्थापना की गई।