लंदन । कोरोना से जूझते हुए एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। लोगों ने बहुत सी विपरीत परिस्थितियां देखी हैं, मुश्किलें झेली हैं। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। मनोचिकित्सक इससे उबरने के लिए सलाह दे रहे हैं कि अगर जिंदगी में नकारात्मक परिस्थितियां भी आती हैं, तो उन्हें स्वीकार कीजिए। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो ये मानसिक तनाव या डिप्रेशन में तब्दील हो जाती हैं। मनोचिकित्सक जेनी टेट्ज अपने पास आने वाले लोगों को यही बताती हैं कि तकलीफों से भागने के बजाय उनका सामना करते हैं तो उनसे निपटना आसान हो जाता है। यह थ्योरी उन्होंने मनोवैज्ञानिक तारा ब्रेच की किताब रेडिकल एक्सेपटेंस से ली है। लोगों को हैरानी हो सकती है कि नकारात्मकता से अच्छा कैसे महूसस होगा। पर यह संभव है, इसके लिए उन्होंने कुछ तरीके बताए हैं, जो इस तरह हैं... जो जैसा है स्वीकार करें: हमेेशा यह न सोचें कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ। या जैसा सोचा था, वैसा क्यों नहीं हुआ। ऐसी बातें वास्तविकता स्वीकार करने से रोकती हैं।
भावनाओं को महत्व दें
भावनाओं से बचने की कोशिश न करें। जो महसूस हो रहा है, उसे अनुभव करें। जैसे आप अकेला महसूस कर रहें तो सोशल मीडिया पर दोस्तों की पोस्ट देखकर यह न सोचें कि आप कभी ऐसे रिश्ते नहीं बना पाएंगे। यह सच है, इसे मानें।
चेहरे से तनाव दूर करें
जब आप स्वीकार करने की क्षमता सुधारना चाहते हैं तो चेहरे की अभिव्यक्ति उग्र के बजाय शांत रखें। मान लीजिए किसी लंबी लाइन में देर से खड़े हैं, तो चेहरे पर तनाव लाने की जगह हल्की सी मुस्कान लाएं। दूसरो को दिखाने के लिए नहीं खुद के लिए। बदलाव खुद दिखेगा।