4 राज्यों में स्लीपर सेल... सीक्रेट ऐप पर मीटिंग, भारत के लिए खतरा बन रहा हिज्ब उत तहरीर!

Updated on 11-11-2024 01:34 PM
नई दिल्ली : आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर को लेकर भारत में सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। सरकार से जुड़े अधिकारियों के अनुसार एनआईए ने पिछले सप्ताह दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन में भारत में 'हिज्ब-उत-तहरीर के विकास' पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि तेलंगाना, तमिलनाडु, गुवाहाटी पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और बीएसएफ के आतंकवाद निरोधक एक्सपर्ट भी इस चर्चा में शामिल थे।

चार राज्यों में उभरे स्लीपर सेल


लेबनान स्थित कट्टरपंथी समूह हिज्ब-उत-तहरीर की मौजूदगी पश्चिमी देशों में है, जिसमें ब्रिटेन भी शामिल है। पिछले साल अक्टूबर में फिलिस्तीन समर्थक सड़क विरोध प्रदर्शन के बाद इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसमें इजरायल में हमास की कार्रवाई की प्रशंसा की गई थी। भारत ने हाल ही में इस समूह को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत रखा है, क्योंकि इसके स्लीपर सेल मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में उभरे हैं।

एनआईए कर रही है जांच


दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत केस स्टडी में मध्य प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में पकड़े गए हुत के मॉड्यूल शामिल थे। अधिकारियों के अनुसार, बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को एनआईए को सौंप दिया, जिसने बाद में हिज्ब-उत-तहरीर के 17 सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। उन्होंने कहा कि एनआईए की जांच से पता चला है कि हुत के सदस्य देश भर में फैले हुए थे। ये लोग मध्य प्रदेश में गुप्त रूप से अपने कैडर की भर्ती कर रहे थे और उसे मजबूत कर रहे थे।

शरिया आधारित इस्लामी राष्ट्र का सपना


एजेंसी के अनुसार, आरोपी हुत की चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित थे, जिसका उद्देश्य हिंसक गतिविधियों के माध्यम से भारत में शरिया आधारित इस्लामी राष्ट्र का निर्माण करना था। हुत का स्लीपर सेल तमिलनाडु, आंध्र और तेलंगाना में सक्रिय पाया गया है। एनआईए ने अक्टूबर में तमिलनाडु और पुडुचेरी में हिज्ब-उत-तहरीर आंदोलन के राज्य अमीर फैजुल रहमान को गिरफ्तार किया था। रहमान पर छह अन्य लोगों के साथ अलगाव को भड़काने और जम्मू-कश्मीर को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांगने का आरोप लगाया गया था।

सीक्रेट ऐप के जरिये मीटिंग


एक अधिकारी ने कहा कि एचयूटी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सुरक्षित एप्स का उपयोग करके आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, तथा भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'दावा' मीटिंग आयोजित कर रहा है। एचयूटी की स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी। इसकी फिलिस्तीनी शाखा में सैकड़ों सदस्य हैं, जिन्हें पश्चिमी तट में फिलिस्तीनी प्राधिकरण के जरिये दबाया गया है।
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