वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड़ में खोजा सबसे बड़ा धूमकेतु

Updated on 08-07-2021 06:21 PM

पेंसिलवेनिया । ब्रह्मांड़ में कई खगोलीय घटनाएं होती रहती है अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसे धूमकेतु को खोजा है, जो आम धूमकेतुओं की तुलना में 1000 गुना ज्यादा बड़ा है। यह अंतरिक्ष की दुनिया में इंसानों द्वारा खोजा गया अब तक का सबसे बड़ा धूमकेतु है। इसका नाम कोमेट सी/2014 यूएन271 है। वैज्ञानिकों के गणना के मुताबिक इस बर्फीले धूमकेतु का व्यास 100 से 200 किलोमीटर हो सकता है। इसे खोजा है पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के ग्रैजुएट छात्र पेद्रो बर्नारडिनैली और अंतरिक्ष विज्ञानी गैरी बर्नस्टीन ने। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोमेट सी/2014 यूएन271 का आकार ज्यादा बड़ा हो सकता है, क्योंकि यह धरती से बहुत दूर है। इसलिए हम उसे सही से नाप नहीं पाए। उसपर पड़ने और छिटकने वाली सूरज की रोशनी के आधार पर उसका आकार बताया गया है। यह हमारी धरती के सबसे नजदीक साल 2031 में आएगा। लेकिन तब भी यह धरती से काफी दूर रहेगा।

अंतरिक्ष विज्ञानी गैरी बर्नस्टीन ने अपने बयान में बताया कि हम लकी थे कि हमसे इतने बड़े धूमकेतु की खोज हुई है। गैरी बर्नस्टीन नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) के नेशनल ऑप्टिकल इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी रिसर्च लेबोरेटरी यानी एनओआईआर लेब के साइंटिस्ट हैं। इसे सबसे पहले पेद्रो बर्नारडिनैली ने डार्क एनर्जी सर्वे नाम के टेलिस्कोप से ली गई तस्वीरों में से खोजा था। इस धूमकेतु की पृथ्वी से दूरी, सूरज की दूरी से करीब 20 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (एयू) ज्यादा था। एक एयू में 15 करोड़ किलोमीटर होते हैं। जब यह धूमकेतु साल 2031 में धरती के सबसे नजदीक आएगा, तब इसकी दूरी 11 एयू रहेगी। यानी सूरज से शनि की दूरी से थोड़ा ज्यादा। यानी इसे देखने को लिए अत्यधिक ताकतवर दूरबीन की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा इस धूमकेतु की खास बात ये है कि इसने हमारे सौर मंडल की यात्रा पिछले 30 लाख साल पहले की थी। ये तब की बात है जब इंसानों की पूर्वज लूसी धरती पर चलती थी।

इस धूमकेतु सी/2014 यूएन271 की उत्पत्ति सूरज से 40 हजार एयू की दूरी पर स्थित ऊर्ट क्लाउड में हुआ है। यह ऐसा इलाका है जहां पर अरबों धूमकेतुओं का जमावड़ा है। इस धूमकेतु का पता तब चला था जब पेद्रो और गैरी डार्क एनर्जी सर्वे टेलिस्कोप की तस्वीरों को 570 मेगापिक्सल सीसीडी इमेजर पर रखकर उसे जूम कर के जांच कर रहे थे। इस धूमकेतु की खोज चिली में स्थित सेरे टोलोलो इंटर-अमेरिकन ऑब्जरवेटरी (टीआईएओ) ने किया था। टीआईएओ को बनाया गया था ताकि ब्रह्मांड में मौजूद 300 मिलियन आकाशगंगाओं का अध्ययन किया जा सके। लेकिन इस दौरान इसने कई धूमकेतुओं और ट्रांस-नेप्च्यून ऑब्जेक्ट्स का भी पता लगाया है। ये नेप्च्यून के बाहर चक्कर लगाते हुए बर्फीली दुनिया हैं। पेद्रो और गैरी ने 800 टीएनओ में से इसे चुना था। साल 2014 से 2018 तक इस धूमकेतु के पीछे की पूंछ नहीं दिख रही थी, जबकि आमतौर पर धूमकेतुओं में पूंछ होती है। साल 2021 के शुरुआत में लास कंब्रेस ऑब्जरवेटरी ने इसकी जो तस्वीर जारी की उसमें इसकी पूंछ दिखाई दे रही है। यानी अब इसके चारों तरफ गैस और धूल की परत जमा है। एनएसएफ के वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसे धूमकेतुओं को खोजने से यह पता चलता है कि अंतरिक्ष में ऐसी वस्तुओं का निर्माण कैसे होता है। इतनी बड़ी चीजें कैसी इंसानों को नहीं दिखती, कैसे इनका संबंध ब्रह्मांड की रचना और संरचना से है। 

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