वाशिंगटन । हाल ही में खगोविदों को एक सुदूर सर्पिल गैलेक्सी में गतिमान सुपरमासिव ब्लैकहोल देखने को मिला है। इस गतिमान ब्लैकहोल के पाए जाने से वैज्ञानिक बहुत हैरान हैं। इसकी गति भी बहुत रहस्यमयी बनी हुई है। यह ब्लैकहोल हमारे सूर्य से 30 लाख ज्यादा गुना वजनी है। जो सुदूर जे0437+2456 सर्पिल गैलेक्सी में पाया गया है जो कि एसबी प्रकार की गैलेक्सी है। इस ब्लैकहोल के एरेसिबो एंड जैमिनी वेधशालाओं ने अवलोकित किया है। यह गैलेक्सी पृथ्वी से 23 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर टॉरस तारा समूह में स्थित है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस सुपरमासिव ब्लैकहोल की गति 177 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलायमान है। अभी तक इसका कारण पता नहीं चल सकता है। इस शोध में शामिल हार्वर्ड एंड स्मिथसनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलविद डॉ डोमिनिक पेस्को का कहना है कि उनकी टीम ने यह उम्मीद नहीं की थी कि यह सुपरमासिव ब्लैक होल भी चलायमान हो सकते हैं। डॉ पेस्को ने बताया कि इस ब्लैकहोल की गतिविधि भी रहस्यमयी है। इतने विशालकाय पिंड को को चलाने के लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होगी। ये सुपरमासिव ब्लैकहोल इतने भारी होते हैं कि इन्हें हिला पाना तक बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इनका इतनी तेज गति से चलना हैरानी की बात है। पेस्को की टीम ने शुरुआत में जे0437+2456 गैलेक्सी के सुपरमासिव ब्लैकहोल को साल 2018 में देखा था। यह देख कर वैज्ञानिकों को बहुत हैरानी हुई की यह विलय करने वाला ब्लैकहोल नहीं है। विलय की स्थिति में ही ब्लैकहोल गतिमान होते हैं। इसी कारण शोधकर्ताओं ने इस गैलेक्सी का 5 साल तक अध्ययन करने का फैसला किया जिससे वे इसके गतिमान होने का कारण पता लगा सकें।
पेस्को इस ब्लैकहोल की गतिविधि की गुत्थी की जटिलता के बारे में बताते हैं, “एक फुटबॉल को ठोस गेंद के मुकाबले लात मारना आसान है। इस मामले में यह ठोस गेंद सूर्य से लाखों गुना ज्यादा भारी है। इसके लिए बहुत ही ज्यादा ताकत की जरूरत होगी। जब हमने इस अजीब प्रक्रिया को देखा तो सबसे पहले हमने यही पूछा कि क्या ब्लैक होल की वही गति है जो गैलेक्सी की गति है जिसके अंदर यह ब्लैकहोल है? इस सवाल के जवाब में हम उम्मीद कर रहे थे कि सुपरमासिव ब्लैकहोल और जिस गैलेक्सी में वह है, दोनों की गति एक ही होगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो ब्लैक होल के साथ छेड़खानी हुई है। इसके लिए खगोलविदों ने कम से कम 10 सुदूर गैलेक्सी और उनके ब्लैकहोल के केंद्र का सर्वेक्षण किया। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक रेडियो एंटीना के जटिल नेटवर्क का उपयोग किया।