मॉस्को। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शिखर वार्ता के 10 दिन पहले पुतिन ने उस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जिससे रूस सैन्य प्रतिष्ठानों के ऊपर निगरानी उड़ानों की अनुमति देने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि से बाहर हो सकेगा। अमेरिका इस संधि से पहले ही अलग हो चुका है। 16 जून को जिनेवा में पुतिन और बाइडन के बीच शिखर वार्ता होनी है। अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले महीने रूस से कहा था कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने ओपन स्काई ट्रिटी में फिर से शामिल नहीं होने का फैसला किया है। अमेरिका, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस संधि से अलग हो गया था। तब ट्रंप ने आरोप लगाया था कि रूस इस संधि की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है।
ओपन स्काई ट्रिटी का मकसद रूस और पश्चिमी देशों के बीच विश्वास स्थापित करना था। इस संधि के तहत तीन दर्जन से अधिक देश सेना की तैनाती और अन्य सैन्य गतिविधियों की निगरानी के लिए एक-दूसरे के क्षेत्रों में निगरानी उड़ानों का संचालन कर सकते थे। यह संधि 2002 में प्रभावी हुई और इसके तहत 1,500 से अधिक उड़ानें संचालित की गई, जिनसे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने के साथ ही हथियार नियंत्रण समझौतों की निगरानी में भी मदद मिली। अमेरिका ने नवंबर में संधि से अपनी वापसी पूरी कर ली। रूस ने किसी भी उल्लंघन को खारिज कर दिया है। रूस की दलील है कि उसने अतीत में कुछ प्रतिबंध लगाए थे जो संधि के तहत मान्य थे। इसके साथ ही रूस का आरोप था कि अमेरिका ने अलास्का में निगरानी उड़ानों पर अधिक व्यापक प्रतिबंध लगा दिया। इस संधि के लिए पहली बार जुलाई 1955 में प्रस्ताव तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डी आइजनहावर ने दिया था। इसके प्रस्ताव के मुताबिक अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ को एक-दूसरे के क्षेत्र में हवाई टोही उड़ानों की अनुमति देने की बात कही गई थी। हालांकि, मॉस्को ने पहले उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था लेकिन राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने मई 1989 में फिर से यह प्रस्ताव किया और जनवरी 2002 में यह संधि लागू हो गई। अभी 34 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। किर्गिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन उसने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है। संधि में सभी देश अपने सभी क्षेत्रों को निगरानी उड़ानों के लिए उपलब्ध कराने पर सहमत हैं, फिर भी रूस ने कुछ क्षेत्रों में उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।