मॉस्को । अंतरिक्ष में सोवियत यूनियन को टक्कर देने के लिए अमेरिका ने अपने स्पेस मिशन को और तेज कर दिया है। लिहाजा, अब अमेरिका को टक्कर देने के लिए रूस ने चीन के साथ हाथ थामने का निर्णय किया है। दोनों देशों ने ऐलान किया है कि वे साथ मिलकर चांद पर साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन बनाएंगे। अमेरिका साल 2024 में एक बार फिर इंसान चांद पर भेजने के लिए मिशन पर काम कर रहा है। दूसरी ओर लंबे वक्त तक अमेरिका के साथ स्पेस में पार्टनर रहे रूस ने अब चीन साथ देकर अंतरिक्ष की बदलती रणभूमि का संकेत दिया है। चीन और रूस ने एक मेमोरंडम साइन किया है जिसमें इंटरनेशनल साइंटिफिक लूनर स्टेशन साथ मिलकर बनाने की बात कही गई है। रूस के बयान के मुताबिक यह स्टेशन एक एक्सपेरिमेंटल रिसर्च फसिलटीज का कॉन्प्लेक्स होगा जो चांद की सतह पर या उसकी कक्षा में होगा। इसे अलग-अलग तरीके से और अलग-अलग उद्देश्यों के तहत रिसर्च करने के लिए डिजाइन किया गया है।
बेस चांद को एक्सप्लोर करने और उसे इस्तेमाल करने, मूलभूत रिसर्च और तकनीक के विकास पर ध्यान देगा। यह मानवरहित और इंसानों के लायक, हर तरह की क्षमताओं से लैस होगा। दोनों देशों ने अभी आपस में बांटी गईं जिम्मेदारियों के बारे में नहीं बताया है। कई साल से अमेरिका की स्पेस एजेंसी रूसी सोयुज स्पेसक्राफ्ट की मदद से अंतरिक्ष में जाते थे लेकिन पिछले साल स्पेसएक्स के क्रो ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से एजेंसी ने 2011 के बाद पहली बार अपने आप ऐस्ट्रोनॉट्स भेजे थे। दरअसल, इस दशक के अंत तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम खत्म हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन के साथ जाकर रूस अमेरिका और दूसरे देशों से अलग होने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका के आर्टमिस एकार्डस को भी रूस ने नहीं माना है जो चांद पर अंतरराष्ट्रीय एक्सप्लोरेशन को लेकर बनाया गया है। रूस ने इसे अमेरिका-केंद्रित बताया है।
चीन और अमेरिका के बीच भी अंतरिक्ष में आगे निकलनी की रेस चल रही है। हाल ही में दोनों के मंगल मिशन लाल ग्रह पर जीवन की तलाश में पहुंचे हैं। चीन का तियानवेन-1 प्रोब मंगल की कक्षा में चक्कर काट रहा है और उसने हाल ही में हाई-डेफिनेशन तस्वीरें भेजी हैं। तियानवेन-1 का रोवर मई या जून में सतह पर पहुंचेगा। अभी तक इसे कई नाम नहीं दिया गया है लेकिन यह सतह पर टचडाउन के बाद 90 दिन तक ऑपरेट करेगा। वहीं, अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा का परसर्विलॉस रोवर मंगल के जजेरो क्रेटर पर लैंड हो चुका है और उसने वहां चट्टानों में छिपे प्राचीन माइक्रोबियल लाइफ के निशान खोजने की तैयारी शुरू कर दी है।