वॉशिंगटन । पिंक सुपरमून और ब्लड मून के बाद अब सूरज ने भी धरतीवासियों को अद्भुत नजारा दिखाने की तैयारी कर ली है। इस बार चांद सूरज के सामने से निकलेगा लेकिन उसका सिर्फ कुछ हिस्सा ही छिपा सकेगा। इस घटना से धरती पर आसमान में 'आग का छल्ला' नजर आएगा। इस नजारे को एनुलर एक्लिप्स या 'रिंग ऑफ फायर' कहते हैं। यह करीब एक घंटा छह मिनट तक चल सकता है। इस साल यह ग्रहण 10 जून को लगेगा। दरअसल, साल के इस समय चांद और सूरज धरती के हिसाब से ऐसी स्थिति पर होते हैं कि दोनों का आकार एक जैसा लगता है।
चांद की कक्षा गोलाकार नहीं है, इसलिए धरती से इसकी दूरी के हिसाब से कभी यह बड़ा दिखता है और कभी छोटा। जब यह दूर होता है, तो धरती और सूरज के बीच में आने पर यह पूरी तरह से सूरज को ढकता नहीं है और तब सूरज का बाहरी हिस्सा छल्ले की तरह दिखता है। रिंग ऑफ फायर पर धरती वायुमंडल का भी असर पड़ेगा।
जब तक चांद और सूरज दोनों सबसे ऊंचे अपवर्तन तक नहीं पहुंचेंगे, ग्रहण साफ नहीं होगा। इस बार इस ग्रहण को उत्तरी अमेरिका में देखा जा सकेगा। इसे अमेरिका और कनाडा के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में यह नजर नहीं आएगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि पृथ्वी से जिन जगहों पर ग्रहण देखा जा सकेगा, वहां से मीलों दूर होने पर भी आसमान साफ रहने पर इसको देखे जाने की संभावना है।
वैसे तो चांद सूरज के ज्यादातर हिस्से को छिपा लेगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे सीधे देखने की जगह, सोलर व्यूइंग ग्लासेज या टेलिस्कोप-दूरबीन जैसे स्पेशल फिल्टर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। सूरज को सीधे देखने से आंखों का पर्दा खराब हो सकता है और हमेशा के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है।