बर्लिन । वैज्ञानिकों को करीब 10 करोड़ साल पहले के एक घोंघे का अवशेष संरक्षित मिला है। यह घोघा जिस मादा का है उसने जीवाश्म बनने से कुछ ही वक्त पहले बच्चे को जन्म दिया होगा। वह भी उसी ऐंबर में संरक्षित है जिसमें मादा घोंघा मिली है। सेंकेनबर्ग रिसर्च इंस्टिट्यूट ऐंड नैचरल हिस्ट्री म्यूजियम, फ्रैंकफर्ट और नैचल हिस्ट्री म्यूजियम बजरमिंड बर्न की डॉ ऐड्रियन जोहूम बताती हैं कि म्यांमार में क्रीटेशस ऐंबर के अंदर घोंघे का शरीर और शेल मिला है जो काफी अच्छी तरह से संरक्षित है। इससे कुछ वक्त पहले उसके बच्चे का जन्म हुआ होगा और वह भी ऐंबर में संरक्षित मिला है। चीन और जापान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐड्रियन ने ऐंबर पर हाई-रेजॉलूशन फटॉग्रफी और माइक्रो-कंप्यूटर टोमॉग्रफी तस्वीरों की मदद से स्टडी की।स्टडी में पाया गया कि घोंघे का शेल 1.1 सेंटीमीटर लंबा है। इसमें पांच बच्चे भी मिले हैं। ऐंबर पेड़ से निकलने वाला गोंद होता है जो समय के साथ काफी सख्त हो जाता है। इसमें आने वाले जीवाश्म संरक्षित भी पाए गए हैं। एड्रियन ने बताया है कि गोंद को आता देख मादा घोंघा को समझ में आ गया था कि क्या होने वाला है। उसके हाथों की पोजिशन 'अलर्ट' देखकर यह समझ में आता है।
उनका कहना है कि ये जीव सड़ी हुई पत्तियां खाते होंगे। ये बच्चे अंडों से निकले बच्चों की तुलना में छोटे पाए गए। इनकी संख्या भी कम है। रिसर्चर्स का मानना है कि अंडे देने की जगह कम संख्या में बच्चे पैदा होना इसलिए जरूरी रहा होगा ताकि शिकारी जीवों से उन्हें बचाया जा सके। स्टडी के मुताबिक उत्तरी म्यांमार से मिले जीवाश्म 10 करोड़ साल पहले रहे इस जीव के बिहेवियर और इकॉलजी के बारे में अहम सबूत देते हैं। इनके आधार पर जानवरों की बनावट को भी समझा जा सकता है और यह भी जान सकते हैं कि क्रेटासीअस पीरियड में बच्चे देने वाले घोंघे रहा करते थे।बता दें कि जमीन पर रहने वाले घोंघे के जीवाश्म आमतौर पर शेल या इंप्रिंट में सुरक्षित रहते हैं जबकि उनके शरीर का सुरक्षित रहना दुर्लभ ही होता है।