लौहार । कराची में अपनी नई पनडुब्बी बना रहा है,इसका खुलासा अब हुआ है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान पनडुब्बी से अरब सागर में भारत के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। सैटेलाइट तस्वीरों में कराची बंदरगाह के अंदर एक पनडुब्बी दिख रही है, जिस पर कोई कवर नहीं है।
पनडुब्बी की जानकारी एक ओपन सोर्स इंटेलिजेंस से मिली है। जिसमें सैटेलाइट तस्वीर के जरिए पाकिस्तान की पनडुब्बी को दिखाया गया है। ट्वीट में कहा गया है कि यह एक मिनी सबमरीन है। इसके साथ ही एक लिंक दिया गया है। जिसमें पनडुब्बी की खासियत को बताया गया है।
इस लिंक को खोलने पर पनडुब्बी की खासियतों के बारे में पता चलता है। हालांकि यह लिंक 14 जुलाई 2020 का है। लेकिन लिंक में बताया गया है कि कराची के पीएनएस इकबाल पर पाकिस्तानी नेवी सील का कोर्स पूरा करने वाले सैनिकों की पासिंग आउट परेड के समय भी यह पनडुब्बी दिखाई दे रही थी। यह तस्वीरें 3 जुलाई 2020 की है. जिसमें पनडुब्बी को ढंका गया था। बता दें कि कराची का पीएनएस इकबाल पाकिस्तानी नौसेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप का सैन्य अड्डा है। इस परेड में चीफ गेस्ट वाइस एडमिरल फैसल रसूल लोधी थे।
पाकिस्तान की सीक्रेट पनडुब्बी करीब 55 फीट लंबी और 7 से 8 फीट चौड़ी है। इसके अलावा रिपोर्ट में पिछले साल कहा गया था पाकिस्तान की यह नई मिनी सबमरीन भारत के लिए अरब सागर में चुनौती खड़ी कर सकती है। पाकिस्तान ने पिछले पांच सालों में चीन और तुर्की के साथ दो बड़ी पनडुब्बी डील की है। इस डील में वहां अपनी पनडुब्बियों को इन देशों की मदद से अपग्रेड करना चाहती है।
साल 2015 में पाकिस्तान ने चीन के साथ 8 हैंगोर टाइप 042 यूआन क्लास सबमरीन को बनाने का समझौता किया था। इसमें चार पनडुब्बियों को कराची शिपयार्ड पर बनाया जाना था। जिसमें चीन से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का संभावित समझौता भी शामिल था। साल 2016 में पाकिस्तान ने तुर्की की हथियार निर्माता कंपनी एसटीएम को 350 मिलियन डॉलर्स यानी 26,039 करोड़ की डील की थी,इसमें कंपनी को पाकिस्तान की अगोस्ता 90बी पनडुब्बियों को आधुनिक बनाना था। माना जा रहा है कि तुर्की और चीन मिलकर पाकिस्तान की नौसेना को अपग्रेड करने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले है। इसके अलावा पाकिस्तान खुद स्वदेशी मिनी सबमरीन बनाने की तैयारी कर रही है। इसके पहले पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप खुफिया ऑपरेशंस के लिए कोसमोस एमजी 110 पनडुब्बियों का उपयोग कर रही है। ये पनडुब्बियां 1990 के दशक में बनाई गई थीं। जिनकी उम्र अब पूरी हो रही है। इन पनडुब्बियों की जगह पाकिस्तान ने नई मिनी सबमरीन बनाने की योजना बनाई थी, जिसका जिक्र मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन ईयर बुक 2015-1016 में किया गया है। इसमें साल 2017-18 तक ऐसी मिनी सबमरीन बनाने का टारगेट तय किया गया था।
साल 2016 से साल 2019 तक यह मिनी सबमरीन एक टेंट के अंदर ढंकी हुई थी। लेकिन साल 2019 के बाद से यह पनडुब्बी खुले में रखी गई है। क्योंकि इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका था और इसके समुद्री ट्रायल्स की जरूरत आ चुकी थी।ऐसा माना जा रहा था कि इस पनडुब्बी का उपयोग पाकिस्तान अरब सागर में युद्ध या संघर्ष के लिए कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने यह पनडुब्बी खुद ही बनाई है। क्योंकि ऐसा डिजाइन अभी तक कहीं और नहीं देखा गया है।