जकार्ता। इंडोनेशिया में वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लगभग एक दर्जन डॉक्टरों की मौत के साथ ही पहले से संदिग्ध रही चीनी वैक्सीन सिनोवैक बायोटेक और सिनोफार्म पर सवाल उठ खड़े हो रहे हैं। फिलहाल इस देश में डेल्टा प्लस स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है और साथ ही कोरोना संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। इंडोनेशिया में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के बीच मेडिकल एसोसिएशन ने शुक्रवार को बताया कि देश में स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित होने के केस बढ़े हैं और देश अत्यधिक संक्रामक नए वायरस स्ट्रेन में गंभीर मामलों से जूझ रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया में पिछले सात दिनों में 103,719 मामले सामने आए जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। सोमवार को 20 लाख मामले अब तक सामने आए हैं वहीं जकार्ता और अन्य कठिन क्षेत्रों में अस्पताल में भर्ती होने की दर 75 प्रतिशत से अधिक हो गई। महामारी शुरू होने के बाद से लगभग 1000 से ज्यादा इंडोनेशियाई स्वास्थ्यकर्मी वायरस से मर चुके हैं, देश के चिकित्सा संघ ने शुक्रवार को पुष्टि की कि पीड़ितों में 401 डॉक्टर थे, जिनमें से 14 को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। एसोसिएशन के कोविड -19 शमन प्रमुख मोहम्मद अदीब खुमैदी ने पत्रकारों से कहा कि हम अभी भी डेटा को अपडेट कर रहे हैं और पुष्टि कर रहे हैं कि अन्य मामलों का टीकाकरण किया गया था या नहीं। टीका लगाए गए चिकित्साकर्मियों में गंभीर मामलों के बढ़ने ने चीन द्वारा निर्मित सिनोवैक जैब पर सवाल खड़े कर दिए हैं, इंडोनेशिया ने अगले साल की शुरुआत तक इस चाइनीज वैक्सीन की एक करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा है लेकिन इन मामलों के सामने आने के बाद आगे की प्रक्रिया में विवाद हो सकता है। इस महीने मध्य जावा में 300 से अधिक टीकाकरण वाले डॉक्टर और स्वास्थ्य देखभाल कर्मी कोविड -19 से संक्रमित पाए गए, जिनमें से लगभग एक दर्जन अस्पताल में भर्ती थे। इंडोनेशिया नए वायरस से स्वरूप से भी जूझ रहा है, इसमें भारत में पहली बार पहचाने जाने वाले अत्यधिक संक्रामक डेल्टा का स्वरूप भी शामिल हैं।