इस्लामाबाद । पाकिस्तान की संघीय सरकार से गिलगित-बालतिस्तान की विधानसभा ने क्षेत्र को प्रांत का दर्जा देने और संसद तथा अन्य संवैधानिक निकायों में प्रतिनिधित्व देने को कहा है। यह प्रस्ताव गिलगित-बालतिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद खान ने विधानसभा में रखा। भारत ने पूर्व में पाकिस्तान द्वारा ‘‘तथाकथित गिलगित-बालतिस्तान’’ को प्रांत का दर्जा दिए जाने के प्रयास की आलोचना करते हुए कहा था कि पड़ोसी देश की मंशा अवैध तौर पर कब्जाए गए क्षेत्र को अपना हिस्सा बनाने की है।
गिलगित-बालतिस्तान के नेताओं ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को क्षेत्र को प्रांत का दर्जा देना चाहिए और संसद तथा अन्य संवैधानिक निकायों में उसे प्रतिनिधित्व देना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया कि कश्मीर मुद्दे पर देश के रुख में कोई बदलाव किए बिना संसद को संविधान में संशोधन कर गिलगित-बालतिस्तान को प्रांत घोषित करना चाहिए।मुख्यमंत्री खान ने कहा, ‘‘संवैधानिक अधिकार की मांग गिलगित-बालतिस्तान के लोगों की सर्वसम्मत मांग है ना कि किसी खास पार्टी या व्यक्ति की। इस मुद्दे पर हमने जो एकजुटता दिखायी उसे संघीय स्तर पर भी दिखानी होगी।’’ प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित-बालतिस्तान का दर्जा बदलने को लेकर सिफारिशें करने के लिए 12 सदस्यीय कमेटी गठित की थी। पिछले साल एक नवंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि अवैध तौर पर कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र में किसी भी तरह के बदलाव के पाकिस्तान के प्रयास को भारत कड़ाई से खारिज करता है और उससे ऐसे इलाके को तुरंत खाली करने के लिए कहता है।
बता दें कि खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। विपक्ष के नेता पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अमजद हुसैन, पाकिस्तान मुस्लीम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के प्रतिनिधि गुलाम मोहम्मद, मजलिस वहदातुल मुसलमीन (एमडब्ल्यूएम) के सदस्य मोहम्मद काजिम और जमीयत उलेमा-ए-इंसाफ (जेयूआई-एफ) के नेता रहमत खलीफ ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया।