कोरबा 45 वर्षीय सरगबुंदिया निवासी श्याम सिंह बिंझवार के सिर में कई दिनों से दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे दर्द बढ़ता गया और अचानक असहनीय दर्द के कारण बेहोश हो गया। परिजनों ने उसे रात को ही न्यू कोरबा हॉस्पिटल लेकर आये । मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया। मस्तिष्क का एमआरआई करने पर पता चला कि ब्रेन के बायें हिस्से में संतरे के जितना बड़ा गठान था। जिसे पराईटल मेनिजियोमार कहते है इसे परिवार के लोग देखकर हैरान रह गए । परिजनों को तब राहत की साँस ली जब डॉक्टर मित्तल ने ऑपेशन हो जाने की बात कही। मरीज का 6 घंटे तक चला ऑपरेशन जो पूर्णतः सफल रहा और मरीज धीरे धीरे कोमा से बाहर आ गया। मरीज़ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब वे स्वस्थ हैं। मरीज के परिजनों ने डॉ. मित्तल सहित उनकी टीम का आभार जताया है।
*शुरूआती दिनों में आसानी से नहीं चलता पता
सफल ऑपरेशन करने वाले NKH के डॉ. मित्तल ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के मामले में सबसे बड़ी परेशानी यह है कि शुरुआती दिनों में आसानी से इसका पता नहीं लगता। बहुतायत मरीजों को साल भर बाद ही पता चल पाटा है की उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। 10 से 15 प्रतिशत मरीजों को एक-दो साल बाद इसका पता चलता है। लगभग इतने ही मरीज चार से पांच साल बीत जाने के बाद समझ पाते हैं कि वे इस गंभीर बीमारी की चपेट में हैं।बच्चो में भी ब्रेन ट्यूमर की शिकायत रहती है लेकिन उन्हें यह पता नहीं चल पाता।
*ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज
कोरबा के कोसाबाड़ी स्थित न्यू कोरबा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल अत्याधुनिक संसाधनो से सुसज्जित है जहाँ हर तरह के ब्रेन ट्यूमर का इलाज हो रहा है। न्यूरो सर्जन डॉ डी एच मित्तल की मानें तो यहां हर माह मरीज आते हैं। ब्रेन ट्यूमर के मरीजों का इलाज दवाई से नहीं होता, इसका एक मात्र इलाज सर्जरी कर ट्यूमर को निकालकर किया जाता है। इसलिए जितनी जल्दी आपरेशन होता है, उतना अच्छा रिजल्ट मिलता है। डॉ मित्तल ने आगे कहा कि ब्रेन ट्यूमर सभी वर्गों के लोगों को हो सकता है। समय पर सर्जरी होगी तो सफलता मिलती है।
*यह है इसके लक्षण
न्यूरोसर्जन डॉ. डीएच मित्तल ने ब्रेन तुमर के लक्षणों को विस्तार से बताते हुए कहा की ब्रेन ट्यूमर मतलब दिमाग में गांठ होना है। लक्षणों के आधार पर डॉक्टरों से जांच करवाने पर इसका पता लग जाता है। सिर दर्द, याददाश्त कमजोर होना, आवाज में बदलाव आना, मिरगी का दौरा आना, हाथ-पैर में लकवे का असर आना, चलने में दिक्कत होना, कम सुनाई देना, चक्कर आना, नजर का कमजोर होना, उल्टी आदि इसके लक्षण हैं। दिमाग में गांठ का मतलब दिमाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होना है। इसकी वजह से दिमाग के शेष हिस्से पर दबाव बढ़ जाता है और काम करना बंद कर देता है।ऐसी किसी भी लक्षण होने पर मरीज को तुरंत न्यूरोसर्जन से जाँच करवा लेना चाहिए