काठमांडू । नेपाल ने कोरोनारोधी भारतीय कोवैक्सीन को इमरजेंसी उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही नेपाल दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने भारत बॉयोटेक के इस टीके को अपनी स्वीकृति दी है। कोवैक्सीन ने भारत में 26 हजार लोगों पर अंतिम चरण के ट्रायल में 81 फीसदी प्रभावी रही है। भारत और अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे ने पहले ही इस वैक्सीन को लगाने की अनुमति दे दिया है। नेपाल के दवा प्रशासन विभाग ने एक बयान जारी करके कहा कि भारतीय टीके को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सशर्त मंजूरी दी गई है। नेपाल को भारत की ओर से अभी तक एस्ट्राजेनेका की 23 लाख डोज मिल चुकी है। इसमें 10 लाख डोज भारत ने नेपाल को उपहार में दिया था। चीन ने भी वादा किया है कि वह कोरोना वैक्सीन की 8 लाख डोज नेपाल को देगा।
हालांकि चीन यह कोरोना वैक्सीन कब देगा, इसको लेकर उसने अभी कोई बयान नहीं दिया है। नेपाल ने यह मंजूरी ऐसे समय पर दी है जब उसकी कोरोना वैक्सीन डोज खत्म हो गई है और उसने टीकाकरण को रोक दिया है। नेपाल के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता जगेश्वर गौतम ने कहा कि जनवरी में कोरोना टीकाकरण के पहले अभियान के लिए 16 लाख डोज मिली थी। अब हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है। गौतम ने कहा कि वैक्सीन के आने तक यह टीकाकरण बंद रहेगा। नेपाल में अब तक कोरोना वायरस के करीब पौने तीन लाख मामले सामने आए हैं और अब तक 3,016 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो गई है। इस बीच भारत बॉयोटेक ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए 40 देशों ने रुचि दिखाई है। इस वैक्सीन को ब्राजील, फिलीपीन्स और थाइलैंड में मंजूरी दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी भारत बॉयोटेक की कोरोना वैक्सीन को एम्स में लगवाया था। मोदी ने कोवैक्सीन लगवाकर सिर्फ वैक्सीन से जुड़ी संदेहों को ही नहीं दूर किया, उन्होंने एक तीर से कई शिकार किए थे। कोविशील्ड का फेज 3 ट्रायल पूरा होने के बाद उसे अप्रूवल मिला था जबकि कोवैक्सीन तब फेज 3 ट्रायल से गुजर रही थी। ऐसे में कोवैक्सीन को लेकर सवाल उठाने वालों की कमी नहीं थी। विपक्षी सदस्यों की तरफ से कोवैक्सीन को कई बार कठघरे में खड़ा किया गया।