रायपुर । छत्तीसगढ़ में माओवादी लगातार अपनी रणनीति बदलते रहते हैं। बदली रणनीति के तहत कभी पुलिस पर हमला,तब कभी ग्रामीणों की हत्या करने से नहीं चूकते है। धमतरी में नक्सलियों ने बीते 9 महीने में चार युवकों की हत्या कर दी है। ये सभी हत्याएं पुलिस के लिए मुखबिरी का आरोप लगाकर की गई हैं। नक्सली हर हत्या के बाद लाश के पास पर्चा जरूर छोड़ते हैं, जिसमें वह बदले की बात का जिक्र करते हैं। गौरतलब है कि ये सभी हत्याएं उन मुठभेड़ों के जवाब को लेकर की जा रही हैं, जिसमें पुलिस ने नक्सलियों के कई बड़े नेताओं को मार गिराया था।
पिछले साल जून में नगरी के बोड़रा निवासी गेदलाल यादव को मार दिया गया। 20 नवंबर 2020 कोखल्लारी के करही निवासी सरपंच पति नीरेश कुंजाम को मार दिया था। 15 फरवरी 2021 को नगरी के घोरागांव निवासी अमरदीप मरकाम को, वहीं 10 मार्च 2021 को नगरी थाना के गादुल बाहरा निवासी प्रहलाद नेताम को घर से उठाकर ले जाकर मार डाला गया। नक्सलियों की इस हरकत को देखकर पुलिस सतर्क हो गई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने जवानों को अकेले बाजार या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाने का निर्देश दिया है।
प्रदेश के विभिन्न इलाकों में लगातार हत्याओं के कारण एक बार फिर से माओवादियों का खौफ बढ़ गया है। खास तौर पर दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग डरे हुए हैं। गांवों में दिन ढलते ही सन्नाटा पसर जाता है। इन गांवों में लोग पुलिस से संपर्क रखना तो दूर, आम लोगों से भी बात करने से कतराने लगे हैं। इस डर में कि कहीं किसी से बात करने के कारण ही उन्हें अपनी जान से हाथ न धोना पड़ जाए।
दरअसल 2019 और 2020 में पुलिस ने दो बड़े नक्सली लीडरों का एनकाउंटर किया था। ये हालांकि पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी रही, लेकिन इससे नक्सली संगठन बौखला चुके हैं। इसी बौखलाहट में नक्सली हर हाल में बदला लेने की नीति पर उतर आए हैं। नक्सलियों के राडार पर वे सभी लोग हैं जो पुलिस के संपर्क में हैं या थे। नक्सली लगातार इन लोगों की निगरानी करा रहे हैं।इसतरह के किसी भी शख्स के पीछे नक्सलियों ने अपने आदमी लगा रखे हैं। जैसे ही मौका मिलता है, मुखिबरी के शक में इन लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है।