वॉशिंगटन। पृथ्वी से इतर जीवन की संभावनाओं को लेकर मंगल ग्रह पर उतरे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोवर पर्सेवेरेंस ने लाल ग्रह पर चहलकदमी भी शुरू कर दी है। रोवर ने अपनी पहली ड्राइव 4 मार्च को की और इस दौरान उसने 6.5 मीटर का रास्ता तय किया। यह ड्राइव रोवर का पहला मोबिलिटी टेस्ट थी। टीम के सदस्य रोवर के हर सिस्टम-सब सिस्टम और इंस्ट्रुमेंट को चेक कर रहे हैं और कैलिबरेट कर रहे हैं। जब रोवर वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट करने लगेगा तो वह 200 मीटर तक चला करेगा। मंगल के जजेरो क्रेटर के पास उतरा रोवर यहां प्राचीन जीवन के निशान खोजेगा। उम्मीद की जा रही है कि मंगल पर अगर कभी जीवन रहा होगा तो यहां उसके निशान मिल सकेंगे।
अपनी पहली ट्रिप के दौरान रोवर करीब 33 मिनट तक घूमता रहा। पहले वह 4 मीटर आगे गया। इसके बाद बायीं ओर मुड़ा और फिर 2.5 मीटर गया। नासा की जेट प्रोपल्शन लैब के रोवर मोबिलिटी टेस्ट बेड इंजिनियर अनायस जरीफियान ने बताया है कि टायर चलाने और रोवर को घुमाने का पहला मौका था। 6 पहियों के रोवर की ड्राइव खूब बढ़िया रही। अब ड्राइव सिस्टम को लेकर विश्वास पैदा हो गया है और अगले दो साल में विज्ञान जहां ले जाए, वहां जाने के लिए तैयार है। इस टेस्ट की तस्वीरें देखने में भी काफी रोचक हैं और मंगल पर इंसानी कदमों के निशान की कहानी सुना रही हैं। इससे पहले पर्सेवेरेंस का सॉफ्टवेयर अपडेट कर दिया गया। इसमें लैंडिंग के लिए लगे सॉफ्टवेयर को हटाकर मंगल पर एक्सपेरिमेंट में काम आने वाले सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया। इसके अलावा इसके रेडार इमेजर फॉर मार्स सबसर्फेस एक्सपेरिमेंट (आरआईएमएफएएक्स) और मार्स इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट (एमओएक्सआईई) इंस्ट्रुमेंट को भी चेक किया गया। एमओएक्सआईई मंगल पर ऑक्सिजन बनाने की कोशिश करेगा ताकि भविष्य में इंसानों को भेजे जाने की स्थिति में जरूरी टेक्नॉलजी को टेस्ट किया जा सके। इसके अलावा मार्स एन्वायरनमेंटल डायनैमिक्स अनैलाइजर (एमईडीए) के दो विंड सेंसर्स को काम पर लगा दिया गया।
इंजिनियर्स ने रोवर की 2 मीटर लंबी रोबॉटिक आर्म को भी दो घंटे तक अलग-अलग जॉइंट्स पर हिला-डुलाकर देखा। रोवर के डेप्युटी मिशन मैनेजर रॉबर्ट हॉग के मुताबिक साइंस टीम के काम में आने वाला यह सबसे अहम टूल है क्योंकि इसकी मदद से जजेरो क्रेटर को जांचा जाएगा। वहां ड्रिल करके सैंपल इकट्ठा किए जाएंगे। इसके लिए पहले रोवर में लगे 23 कैमरों की मदद से यह देखा जाएगा कि क्या कोई ऐसा सैंपल है जिसे कलेक्ट करके स्टडी करने से हमें कुछ मिल सकता है। अगर ऐसा सैंपल पाया जाएगा तो रोबॉटिक आर्म उसे कलेक्ट करेगी और फिर अपने कैशिंग सिस्टम में संभालकर रख देगी। भविष्य में जाने वाले मिशन इन सैंपल्स को स्टडी के लिए धरती पर वापस लेकर आएंगे।