वाशिंगटन लाल ग्रह की अबूझ पहेलियों को सुलझाने गए नासा के मार्स पर्सेवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह का पहला वीडियो और ऑडियो भेजा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने रोवर के वीडियो शेयर किया है और इसे मंगल ग्रह पर कैसे लैंड करें, नाम दिया है। नासा के इस ऑडियो और वीडियो से लाल ग्रह के बारे में इंसान की और ज्यादा समझ बढ़ी है। नासा के रोवर में लगे कैमरों ने पहली बार दुनिया को दिखाया है कि मंगल ग्रह पर किस तरह से लैंडिंग होती है। यही नहीं रोवर पर लगाए गए माइक्रोफोन ने कुछ सेकंड का ऑडियो भेजा है जिसमें मंगल ग्रह की हवाएं और वहां रोवर के काम करने पर पैदा होने वाली आवाज रेकॉर्ड हुई है। नासा की ओर से जारी वीडियो में मंगल ग्रह पर यान के उतरने की पूरी प्रक्रिया नजर आ रही है। इस वीडियो की शुरुआत रोवर के मंगल ग्रह के वातावरण में पहुंचने के ठीक 230 सेकंड बाद होती है। मंगल ग्रह के 7 मील ऊपर नासा के रोवर का पैराशूट खुल जाता है। वीडियो का अंत रोवर के मंगल ग्रह की सतह को छूने के साथ होता है। नासा से जुड़े थॉमस जुरबूचेन ने कहा, 'रोवर के लैंडिंग का यह वीडियो बहुत शानदार है और सूट पर ज्यादा दबाव डाले बिना आप इसे कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि यह हर युवा महिला और पुरुष वैज्ञानिक के लिए जरूरी होना चाहिए जो दूसरी दुनिया की खोज करना चाहते हैं और ऐसे यान बनाना चाहते हैं जो उन्हें दूसरी दुनिया में ले जाए। नासा के इस अत्याधुनिक रोवर में कुल 23 कैमरे लगे हुए हैं। इसमें जूम करने और रंगीन वीडियो बनाने की क्षमता है। रोवर में एक हेलीकॉप्टर लगा है जिसे इंजेन्यूटी नाम दिया गया है। यह रोवर मंगल ग्रह पर उतरने के बाद नासा के वर्ष 2006 में भेजे गए ऑर्बिटर की मदद से अपना डेटा और तस्वीरें भेज रहा है।
नासा के रोवर ने अपने माइक्रोफोन की मदद से लाल ग्रह की हवाओं की कुछ सेकंड की आवाज को भेजा है। हालांकि माइक्रोफोन ने बहुत इस्तेमाल किए जाने वाला डेटा नहीं भेजा है। मार्स पर्सेवरेंस रोवर ने अपने ट्विटर अकाउंट से मंगल ग्रह की आवाज को शेयर किया है। नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर उतरने की कुल 23000 तस्वीरें भेजी हैं। यही नहीं अभी तक किसी भी अंतरिक्ष यान ने उतरने का वीडियो कैमरे में कैद नहीं किया है। नासा से जुड़े अल चेन ने कहा कि ये वीडियो और तस्वीरें हमारा सपना था। इसका सपना हम कई वर्षों से देख रहे थे। नासा के 5 कैमरों ने एक साथ रोवर के मंगल ग्रह पर उतरने को रेकॉर्ड किया। इस दौरान यह क्राफ्ट 7 मिनट में 12 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से 0 मील प्रति घंटे की रफ्तार पर आ गया और सतह पर लैंड कर गया। नासा का रोवर जेजेरो क्रेटर में उतरा है जिसे मंगल की प्राचीन झील का तल माना जाता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर मंगल पर कभी जीवन था, तो उसके संकेत यहां जीवाश्मों में मिल सकेंगे। नासा का पर्सेवरेंस रोवर मंगल पर ऐस्ट्रोबायॉलजी से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब खोजेगा। इनमें से सबसे बड़ा सवाल है- क्या मंगल पर जीवन संभव है? यह मिशन न सिर्फ मंगल पर ऐसी जगहों की तलाश करेगा जहां पहले कभी जीवन रहा हो बल्कि अभी वहां मौजूद माइक्रोबियल लाइव के संकेत भी खोजेगा। पर्सेवरेंस रोवर कोर वहां चट्टानों और मिट्टी से सैंपल लेगा और भविष्य में वहां जाने वाले मिशन इन सैंपल्स को धरती पर वापस लेकर आएंगे। दरअसल, इन सैंपल्स को स्टडी करने के लिए वैज्ञानिकों को बड़े लैब की जरूरत होगी जिसे मंगल पर ले जाना संभव नहीं है। इसके अलावा मिशन ऐसी जानकारियां इकट्ठा करेगा और टेक्नॉलजी को टेस्ट करेगा जिनसे आने वाले समय में मंगल पर इंसानों को भेजने का तरीका खोजा जा सके। इसमें सबसे अहम होगा मंगल के वायुमंडल में ऑक्सिजन बनाने का तरीका खोजना।